
श्रमिक संगठन एक बार फिर सरकार के खिलाफ हुए लामबंद, ये है वजह...
कोरबा. एक बार फिर से श्रमिक संगठन सरकार के खिलाफ लामबंद होने लगे हैं। उनका कहना है कि सरकार कोल इंडिया में नौ फीसदी हिस्सेदारी कम करने जा रही है। ऑफर ऑफ सेल के जरिए तीन फीसदी शेयर बेचेगी। इससे सरकारी खजाने को पांच हजार करोड़ रुपए मिलने की संभावना है। बोली अधिक आने पर छह फीसदी और शेयर बिक्री की योजना बनाई है।
संगठन के नेताओं ने बताया कि ऑफर ऑफ सेल के जरिए १८.६२ करोड़ शेयर की बिक्री का लक्ष्य रखा है। प्रति शेयर का मूल्य २६६ रुपए निर्धारित गया है। शेयर बिक्री से केन्द्र सरकार ने १४ हजार करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। खुदरा निवेशक गुरुवार को बोली लगा सकते हैं। हांलाकि बुधवार को कोल इंडिया का शेयर एनएसई में २६६.१५ रुपए पर बंद हुआ। मंगलवार के मुकाबले बुधवार को नौ रुपए ७० पैसे की गिरावट आई।
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30.68 फीसदी शेयर निजी हाथों में
नौ फीसदी शेयर बिक्री के बाद कोल इंडिया में सरकार की हिस्सेदारी ६९.३२ फीसदी हो जाएगी। ३०.६८ फीसदी शेयर निजी हाथों में होगी। कोल इंडिया का शेयर सरकार दो बार बेच चुकी है। कंपनी की २१.६८ फीसदी शेयर बाजार में है। सबसे पहले केन्द्र सरकार ने २०१० में कोल इंडिया में अपनी हिस्सेदारी १० फीसदी घटाई थी। इसका श्रमिक संगठनों ने विरोध किया। तत्कालीन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने दोबारा शेयर बिक्री नहीं करने का आश्वासन दिया था। इसके पांच साल मोदी सरकार ने कोल इंडिया में १० फीसदी शेयर और बेच दिए।
कोल इंडिया के स्थापना दिवस समारोह का विरोध
शेयर बिक्री का कोयला श्रमिक संघ (सीटू) ने प्रखर विरोध किया। कोल इंडिया के स्थापना दिवस पर एक नवंबर को आयोजित होने वाले कार्यक्रम का बहिष्कार किया है। कोल कर्मियों से कार्यक्रम में शामिल नहीं होने की अपील की है। सीटू ने कहा कि मोदी सरकार कापोरेट्स को खुश करने के लिए सार्वजनिक उद्योगों को ेबेच रही है।
Published on:
01 Nov 2018 11:20 am
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