
Jagannath Rath Yatra 2024: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के दो सप्ताह पहले स्नान कराने का विधान है। शनिवार को जेष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि के अवसर पर देवस्नान पूर्णिमा उत्सव मनाया गया। इस दौरान भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा देवी व भाई बलभद्र की काष्ठ मूर्तियों को मंदिर के गर्भगृह (Jagannath Rath Yatra 2024) से निकाल कर बाहर में पंचतीर्थ स्थानों के पवित्र जल से स्नान कराया गया और विशेष पूजन करके उन्हें मंदिर के अंदर प्रवेश किया गया।
अंचल के प्रमुख ग्राम साल्हेओना में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर का प्राण-प्रतिष्ठा तीन माह पहले किया गया था और भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा देवी व बलभद्र की काष्ठ मूर्तियों को प्राण प्रतिष्ठा के साथ विधिवत स्थापित किया गया है। जगन्नाथ मंदिर बीच बस्ती में होने के कारण रोजाना सुबह - शाम को आरती पूजन मंदिर के पुरोहित व महिलाओं, युवतियों द्वारा हो रहा है। अब जबकि दो सप्ताह के पहले आषाढ़ द्वितीया तिथि पर जगन्नाथ रथयात्रा निकाली जाएगी।
ऐसे में शनिवार को जेष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर देवस्नान का आयोजन किया गया। देवस्नान के लिए स्थानीय डोंगिया तालाब की पवित्र जल में सुगंधित फूल, चंदन, केसर, कस्तुरी, ईत्र , औषधियां मिलाकर घड़ों से भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा देवी व बलभद्र के काष्ठ मूर्तियों को सूती वस्त्र में ढंककर सहस्त्र धारा में स्नान कराया गया।
देवस्नान विधान करने के पहले पुरोहित सोनू दास वैष्णव ने दैनिक पूजा-पाठ संपन्न किया और आरती कर भोग लगाया। देवस्नान के अवसर पर श्रद्धालु महिलाओं व पुरुषों की उपस्थिति रही। वही मंदिर निर्माण समिति के रामदयाल पटेल, लालसाय पटेल, मिनकेतन पटेल, बनमाली चौधरी, टीकाराम चौधरी, शौकीलाल सहिस, सुभाष पटेल, उत्तम मुन्ना पटेल, गजानंद निषाद, तुलाराम चौधरी, सुंदर भगत भी मौजूद रहे।
देवस्नान के बाद भगवान जगन्नथ महाप्रभु बीमार पड़ जाते है। ऐसे में 15 दिन तक वे मंदिर के गर्भगृह में विश्राम करेगें और उन्हें औषधीय काढ़ा देकर उपचार किया जाएगा। ऐसी स्थिति में श्रद्धालुओं को प्रभु का दर्शन नहीं हो पाएगा। अब 15 दिन बाद रथयात्रा के दो दिन पहले गर्भगृह के किवाड़ खोले जाएंगे (Jagannath Rath Yatra 2024) और सार्वजनिक रुप से भगवान जगन्नाथ का नेत्र उत्सव मनाया जाएगा।
Updated on:
23 Jun 2024 01:06 pm
Published on:
23 Jun 2024 12:38 pm
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