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यहां पहली बार दिखी 12 फीट लंबी मादा किंग कोबरा, रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा

King Cobra Rescue: वैज्ञानिक प्रक्रिया, सतर्कता और सुरक्षा के साथ किंग कोबरा को रेस्क्यू किया और उसे प्राकृतिक आवास में सुरक्षित छोड़ दिया गया।

लेमरू में 12 फीट लंबी मादा किंग कोबरा का रेस्क्यू (Photo source- Patrika)
लेमरू में 12 फीट लंबी मादा किंग कोबरा का रेस्क्यू (Photo source- Patrika)

King Cobra Rescue: कोरबा जिला मध्य भारत का इकलौता ऐसा क्षेत्र है। जहां दुनिया का सबसे जहरीला सांप किंग कोबरा पाया जाता है। इस बार कोरबा वनमंडल के लेमरू रेंज में 12 फीट लंबी मादा किंग कोबरा का रेस्क्यू किया गया है। यह पहला अवसर है, जब किंग कोबरा को लेमरू से रेस्क्यू किया गया है।

लेमरू में अब तक किंग कोबरा को देखा जाता रहा है, इसके मौजूदगी की सूचना मिली है। लेकिन पहली बार जब हाथी रिजर्व के लिए संरक्षित क्षेत्र में किंग कोबरा का सफल रेस्क्यू वन विभाग और नोवा नेचर की टीम ने किया है। उसने तत्काल खेत के मालिक को सूचित किया। फिर वन विभाग को सूचित किया और बताया कि उसके खेत में 'पहाड़ चित्ती' निकला है। तब वन आरक्षक तुरंत उस स्थान पर पहुंचे और बताया कि यह किंग कोबरा जिसे ग्रामीण पहाड़ चित्ती के नाम से भी जानते है।

King Cobra Rescue: वैज्ञानिक तरीके से किया गया रेस्क्यू

स्नेक रेस्क्यूअर जितेंद्र ने बताया कि सूचना मिलते ही कोरबा वनमंडल के वनमण्डलाधिकारी मयंक अग्रवाल और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी टीम के साथ ह। कोरबा से लेमरू रेंज में पहुंचे। इसके बाद रेस्क्यु चालू किया।

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वैज्ञानिक प्रक्रिया, सतर्कता और सुरक्षा के साथ किंग कोबरा को रेस्क्यू किया और उसे प्राकृतिक आवास में सुरक्षित छोड़ दिया गया। ग्रामीण काफी जागरूक दिखे, जिन्होंने सांप को मारने या नुकसान पहुंचाने के बजाय वन विभाग को सूचना दी। लोगों में जागरूकता आ रही है। आज अच्छी बात है, यह काफी गर्व का विषय है कि हमारे कोरबा में किंग पाया जाता है और उतना ही जरूरी है। इसे संरक्षित करना।

एक दिन पहले किया गया रेस्क्यू

King Cobra Rescue: यह घटना शुक्रवार की है, जब दोपहर करीब 2 बजे एक स्थानीय किसान अपने खेत में काम कर रहा था। अचानक उसे एक गड्ढे में कुछ हलचल दिखाई दी। पास जाकर देखने पर उसने देखा कि उसमें एक विशालकाय सांप मौजूद है।

मयंक अग्रवाल, वनमंडलाधिकारी: किंग कोबरा जैसे संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण हमारी पर्यावरणीय प्रतिबद्धता का एक अहम हिस्सा है। ऐसे समन्वित रेस्क्यू अभियान समाज में जागरूकता और सहभागिता को भी बढ़ावा देते हैं।