कोरबा. लकड़ी तस्करों के हौसले कितने बुलंद है इस बात की गवाही बताती के जंगलों में हुई कटाई से मिल रही है। आलम यह है कि तस्कर पेड़ों की कटाई करते रहे और वन विभाग को इसकी खबर तक नहीं हुई। जबकि सच्चाई यह भी है कि वन विभाग जंगल के चप्पे-चप्पे पर अपनी नजर रखने की बात कहता है। ऐसे में नजर भी रखी जा रही है और लकडिय़ों की चोरी भी हो रही है ये बात कई सवालों को जन्म दे रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार कोरकोमा रेंज के बताती के जंगल से लगभग ५० से ६० सागौन के पेड़ तस्कर काट कर ले गए हैं। हैरानी की बात यह है कि पेड़ों की कटाई होती रही और विभाग के अधिकारियों को इस बात की खबर नहीं रही। इस मामले में ये बात सामने आ रही है कि बुधवार को सीसीएफ अरुण पांडेय धरमजगढ़ की ओर इस कोरकोमा रेंज होकर जा रहे थे। ऐसे में कक्ष क्रमांक सी १०३० के पास से गुजरते समय उनकी नजर सडक़ के किनारे गिरी डंगाल पर पड़ी। इसके बाद उन्हें शक हुआ तो वो वहां उतर गए और जंगल के अंदर चले गए। जब वहां जाकर देखा तो सागौन के पेड़ों की कटी हुई ठूंठ वहां पर मौजूद थी। ऐसे में उन्होंने वहां उडऩ दस्ता की टीम को बुलाया और मामले की जांच करने का आदेश दिया है।
वहीं इस मामले में जब रेंज के प्रभारी रेंजर विष्णुद प्रसाद मरावी से बात की गई तो उनका कहना था कि ये कटाई काफी पुरानी है। तीन से चार पेड़ ही कटे हैं हलंाकि वो ये भी कह रहे हैं कि इसकी जांच चल रही है। जांच के बाद मामला स्पष्ट हो सकेगा।
जंगल भ्रमण पर उठ रहे सवाल
इस मामले मे सबसे पहला सवाल संबंधित बीट को लेकर उठ रहा है कि बीट गार्ड को इस बात की जानकारी कैसे नहीं हो सकी कि जंगल में कटाई हो रही है। इतना ही नहीं सडक़ से गुजरते हुए व्यक्ति को जब पेड़ की कटाई दिख जा रही है इसका आशय यही है कि सडक़ के किनारे पेड़ों की कटाई हो रही है और वन विभाग को इसकी सूचना नहीं मिल पा रही है।
मिली भगत का भी अंदेशा
इस मामले में इस बात के भी आरोप लग रहे हैं कि बिना मिली भगत के जंगल में इस प्रकार सडक़ के किनारे के पेड़ों की कटाई नहीं हो सकती है। इन हालात में मामले के जांच की बात कही जा रही है।