
एेतिहासिक है छत्तीसगढ़ के पाली में बसा भगवान शिव का मंदिर, रोचक है इसका इतिहास
कोरबा. सावन के मौसम में भक्त भगवान भोलेनाथ के दर्शन को आतुर होते हैं। कुछ श्रद्धालु कांवर लेकर मंदिर जाकर भगवान भोलेनाथ को जल चढ़ाते हैं। लोगों का मानना है कि सावन के महीने में भगवान शिव हर किसी भक्त की मनोकामना पूरी करते हैं। छत्तीसगढ़ में ऐसे कई मशहूर शिव मंदिर हैं, जो काफी मशहूर हैं। आज हम आपको ऐसे ही एक शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसके पौराणिक मान्यताओं के बारे में सुनकर आप भी वहां जाये बिना नहीं रह पाएंगे।
छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा जिले के कटघोरा तहसील से लगभग 30 किमी दूर है पाली। जहां पर है भगवान शिव का भव्य मंदिर। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण बांण वंशी राजा विक्रमादित्य ने सन 900 ईसवी के आसपास करवाया था। इस मदिर का निर्माण बालुए पत्थर द्वारा किया गया है। इसके साथ ही इस मंदिर की अतभूत बनावट और इसका गर्भगृह इसकी विशेषता है।
पाली से लगभग 20 किमी की दूरी पर घने जंगलों के बीच 3060 फीट ऊंची पहाड़ी पर बसा है चैतुरगढ़। इस जगह को छत्तीसगढ़ का कश्मीर भी कहा जाता है, इसे यह नाम यहां के पर्यटकों ने दिया है। इस जगह पर कल्चुरी शासक पृथ्वीदेव प्रथम ने इस किले का निर्माण करवाया था। इस जगह पर आज भी पूराने इतिहास के अवशेष मौजूद हैं।
गांव के लोगों ने बताया कि सावन के महीने में हजारों श्रद्धालु यहां पर भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं। साथ ही दूर-दूर से कांवरिये यहां भगवान शिव को जल चढ़ाने भी पहुंचते हैं। हर साल यहां सावन के महीने में मेले का आयोजन भी किया जाता है।
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Published on:
02 Aug 2019 08:30 am
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