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झोलाछाप डॉक्टर ने मरीज को लगाए चार इंजेक्शन, बिगड़ी तबीयत, हुई मौत

पेट दर्द का इलाज झोलाछाप डॉक्टर से कराना ग्रामीण को भारी पड़ गया। डॉक्टर ने मरीज को चार इंजेक्शन लगाया। दर्द ठीक नहीं हुआ तो एक इंजेक्शन पेट में लगा दिया। दर्द घटने के बजाए और बढ़ गई। परिजन मरीज को लेकर बिलासपुर पहुंचे। इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई।

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झोलाछाप डॉक्टर ने मरीज को लगाए चार इंजेक्शन, बिगड़ी तबीयत, हुई मौत

झोलाछाप डॉक्टर ने मरीज को लगाए चार इंजेक्शन, बिगड़ी तबीयत, हुई मौत

परिजनों की शिकायत पर पुलिस ने झोलाछाप डॉक्टर पर केस दर्ज किया है। उसपर जान बुझकर ऐसा इलाज करने का केस दर्ज किया गया है, जिससे मरीज की मौत हुई। घटना विकासखंड पोड़ी उपरोड़ा के गांव गुरुद्वारी की है।

झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की मौत का मामला सामने आया है। गांव में रहने वाले भानू प्रताप ओट्टी की तबीयत तीन नवंबर हो खराब हो गई। उसके पेट में तेज दर्द हुआ। अस्पताल जाने के बजाए भानूप्रताप ने गांव में घूम- घूमकर इलाज करने वाले झोलाछाप डॉक्टर करण कुमार से सम्पर्क किया। करण कुमार गुरुद्वारी में रहने वाले भगवान सिंह के घर पहुंचा। इलाज के लिए भानूप्रताप को बुलाया। मरीज भानूप्रताप को चार इंजेक्शन लगाया। एक इंजेक्शन बांह में, दो कमर में और चौथा इंजेक्शन मरीज के पेट में लगा दिया। ठीक होने के बजाए भानूप्रताप की बीमारी बढ़ गई। वह दर्द से परेशान हो गया।

शाम को पत्नी और बच्चे के घर पहुंचने पर परिवार को बताया। पत्नी सुकुल बाई ने झोलाछाप डॉक्टर करण से मोबाइल फोन पर सम्पर्क किया। पूछा कि कौन सा इंजेक्शन लगा दिए हो कि बीमारी पहले से बढ़ गई। तब करण ने ठीक से बात नहीं की। कॉल को काट दिया। सुकुल बाई अपने पति भानूप्रताप को लेकर पेंड्रा के अस्पताल पहुंची। इलाज के बाद डॉक्टर ने भानूप्रताप की स्थिति को देखते हुए बिलासपुर सिम्स रेफर कर दिया। मरीज ठीक नहीं हुआ तो परिजन उसे लेकर निजी बिलासपुर के निजी अस्पताल पहुंचे। तब स्थिति गंभीर हो गई थी। इलाज के दौरान भानू प्रताप ने दम तोड़ दिया।

प्रारंभिक जांच में पुलिस को पता चला है कि भानू प्रताप की पत्नी और बच्चे रोजी मजदूरी काम करते हैं। घटना के दिन दोनों मजदूरी करने गए थे। घर में भानू प्रताप अकेला था। झोलाछाप डॉक्टर ने बीमारी जल्दी ठीक होने का वादा करके इंजेक्शन लगाया था।

ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या अधिक

बिना लाइसेंस के मरीजों का उपचार करने वाले झोलाछाप डॉक्टरों की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक है। झोलाछाप डॉक्टरों के पास इलाज करने की कोई कानूनी वैधता नहीं है बावजूद इसके ऐसे डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में मरीजों का इलाज कर रहे हैं। इन पर रोक लगाने में स्वास्थ्य विभाग नाकाम साबित हुआ है। कोरबा जिले में झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज से मौत की घटनाएं पहले भी हुई है लेकिन कार्रवाई सीमित है।


परिवार ने दर्ज कराया केस

भानूप्रताप की मौत के लिए परिवार ने झोलाछाप करण कुमार को जिम्मेदार ठहराया है। उसके खिलाफ पसान थाना में केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने करण पर आईपीसी की धारा 304 (जानबूझकर ऐसा इलाज जिससे मरीज की मौत हो जाए) के तहत केस दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।


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