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शहर की हवा बेहद साफ और हसदेव नदी में प्रदूषण रत्ती भर नहीं, आंखों में धूल झोंकने वाली रिपोर्ट

कोरबा. कोरबा शहर की हवा बेहद साफ है, आप खुली हवा में सांस ले सकते हैं। हसदेव नदी का पानी भी रत्ती भर प्रदूषित नहीं है। पर्यावरण संरक्षण मंडल हर महीने अपने रिपोर्ट में यही बता रहा है कि कोरबा का हवा-पानी सब ठीक है। जबकि शहर का प्रदूषण किस हद तक खराब है इसका नजारा १० मिनट की आंधी में घरों में राख की परत बिछते ही दिखने लगती है। हसदेव नदी का भी यही हाल है।

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ये प्रदूषण जानलेवा है... राखड़ के छोटे-छोटे ढेर रिंगरोड पर लोगों को बना रहे बीमार

ये प्रदूषण जानलेवा है... राखड़ के छोटे-छोटे ढेर रिंगरोड पर लोगों को बना रहे बीमार

प्रदूषण पर धूल झोंकने वाली रिपोर्ट पर्यावरण संरक्षण मंडल की है। रिपोर्ट के अनुसार हर महीने हसदेव नदी के पांच जगहों से सैंपल लिया जाता है तो वहीं तीन जगहों पर लगी मशीनों से एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर जांचा जाता है। हर महीने की रिपोर्ट मुख्यालय को भेजी जाती है। मार्च २०२३ तक की रिपोर्ट सार्वजनिक की जा चुकी है। नदी के हर महीने पांच सैंपल में एक भी सैंपल में पानी प्रदूषित नहीं मिल रहा है। तीन जगहों पर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर भी बेहतर मिल रहा है। जबकि शहर की स्थिति इससे एकदम उलट है। राखड़ कई बस्तियों को बीमार बना रहा है। बायपास पर रहने वाले लोगों को शुद्ध हवा नसीब नहीं हो रही है। तीन महीने में सात बार प्रदर्शन हो चुका है। जरा सी हवा क्या चलती है शहर में राख के अलावा कुुछ और नजर नहीं आता। ऐेसे में विभाग के आंकड़ों पर सवाल उठना लाजिमी है।

राख भरी अंधड़ वाले दिन का आंकड़ा विभाग ने कभी नहीं किया पेश
हर सप्ताह दो से तीन दिन राख भरी आंधी चल रही है, लेकिन कभी भी ऐसे अंधड़ वाले दिनों का एयर क्वालिटी इंडेक्स जारी नहीं किया जाता। एयर क्वालिटी इंडेक्स हर महीने की १, ४, ११, १५, १८, २२ और २५ तारिख का ही लिया जाता है। कई बार इसमें फेरबदल भी कर दिया जाता है। ० सात महीने में वाटर क्वालिटी का डाटा एक जैसा
हसदेव नदी से हर महीने लिए जाने वाले पांच सैंपल का अगर बीते सात महीने के डाटा का मिलान किया जाए तो हर दूसरे महीने का डाटा एक जैसा ही सामने आ रहा है। मार्च में डीओ अधिकतम ८.४ था, जो कि फरवरी में अधिकतम ८.४, जनवरी में फिर ८.४, दिसंबर में फिर ८.२, नंवबर में फिर ८.४ था। यही हाल बीओडी का रहा। मार्च में बीओडी अधिकतम १.४ था, फरवरी में १.४, जनवरी में १.६, दिसंबर में फिर १.४, नंवबर में २.२ था।

पांच साल से एक ही जगह पर ले रहे सैंपल
बीते पांच साल से हवा और पानी दोनों के लिए सैंपल चुंनिदा जगहों से ही लिया जा रहा है। बांगो डेम से सैंपल लिया जाता है जहां प्रदूषण का स्तर बिल्कुल नहीं होता। इसके अलावा सीएसईबी ईस्ट गेस्ट हाउस के पास, उरगा और कोहडिय़ा में निगम के ट्रीटमेंट प्लांट में पानी सप्लाई से पहले और बाद में सैंपल लिया जाता है। जबकि हसदेव नदी का १० किमी का प्रदूषित एरिया दर्री से लेकर उरगा के बीच है। इस १० किमी के हिस्से में सिर्फ दो जगह पर सैंपल लिया जा रहा है। यही हाल एयर क्वालिटी मशीनों का है। जमनीपाली, तहसील कार्यालय , विभाग के दफ्तर, गीतांजलि भवन में मशीन लगाई गई है।

प्रदूषण कम करने कोई नहीं कर रहा पहल
प्रदूषण कम करने को लेकर कोई इमानदार प्रयास शहर में नहीं हो रहा है। हर विभाग अपने आप को कागजों में सही बता रहा है। पर्यावरण संरक्षण मंडल कहता है कि प्रदूषण पर निगरानी रखी जा रही है। स्तर संतोषजनक है। निगम का कहना है कि शहर की सड़कों पर धूल न जमा हो इसके लिए रोजाना स्वीपिंग मशीन चलाई जा रही है। उद्योग व खदान प्रबंधकों का कहना है कि नियमित तौर पर पानी का छिड़काव प्रभावित सड़कों पर किया जा रहा है। सवाल उठता है कि जब सबकुछ ठीक है तो शहर में प्रदूषण की इतनी गंभीर समस्या क्यों है?

इन बिंदुओं पर काम करना बेहद जरुरी
- राख परिवहन हाइवा के बजाए केप्शूल वाहनों में किया जाए। - उद्योगों व खदानों में लगी प्रदूषण पर निगरानी के लिए मशीनों के डाटा की समीक्षा हो।
- अगर डाटा सही आ रहा है और धूल की समस्या है तो मशीनों की जांच
हो। - हसदेव नदी पर मिल रही राखड़ की परत को रोकने के लिए व्यापक तौर पर सर्वे किया जाए।
- हर अंधड़ वाले दिन प्रदूषण के डाटा की समीक्षा हो, ताकि स्तर कम करने प्रयास सही दिशा पर बढ़े।