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पहचान खो रहा शहर का हृदय स्थल, प्रशासनिक उदासीनता है वजह पढिए पूरी खबर

दूर से दिखाई देने वाली एकमात्र घड़ी लंबे समय से खराब

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कोरबा

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Shiv Singh

Jun 16, 2018

दूर से दिखाई देने वाली एकमात्र घड़ी लंबे समय से खराब

दूर से दिखाई देने वाली एकमात्र घड़ी लंबे समय से खराब

कोरबा. घंटाघर की विशेष पहचान घड़ी ने अपना दम तोड़ दिया है। शहर के हृदय स्थल में स्थित घंटाघर को घड़ी चौक के नाम से भी जाना जाता है, दूर से दिखाई देने वाली एकमात्र घड़ी लंबे समय से खराब हो पड़ी है।

जिससे लोगों में नाराजगी है। इसके बावजूद निगम के अधिकारी कोई सुध नहीं ले रहे हंै। घंटाघर चौक निहारिका, रविशंकर व महाराणा प्रताप कॉलोनी, मुड़ापार क्षेत्र व बुधवारी क्षेत्र का केन्द्र है।


घंटाघर निर्माण के बाद शुरूआती दौर में राहगीरों को समय बताने के लिए चारों तरफ कांटे वाली घड़ी लगाई गई थी, ताकि चारों तरफ से आवागामन करने वाले लोगों को दूर से ही समय का पता चल सके। कुछ साल पहले इसे डिजिटल घड़ी में बदली गई। इसकी सौंदर्यता को दर्शाते पानी के झरने, रंग-बिरंगी लाईटें, हरे-भरे पौधे व घास देखने शहर सहित बालको, रजगामार, कुसमुंडा, छुरी, कटघोरा सहित उपनगरीय व ग्रामीण के लोग सौंदर्यता देखने आते हैं, और कुछ समय व्यतीत करते हैं। बच्चों को काफी आकर्षित करता है।

इस मार्ग से नेता व जनप्रतिनिधि से लेकर अफसरों का रोजाना आवागमन होता है। घंटाघर के स्तंभ के ऊपर लगी घड़ी पर सभी का ध्यान केन्द्रित रहता है। इसके बाद भी विभाग डिजिटल घड़ी को दुरूस्त करने की जिम्मेदारी महसूस नहीं कर रहा है। इस बेहाल व्यवस्था पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।


घंटाघर ओपन थिएटर में सरकारी संस्था व निजी संस्थान का आए दिन रंगारंग कार्यक्रम, महोत्सव, सम्मेलन का कार्यक्रम होता है। कार्यक्रम में कई बड़े नेता व अधिकारी मुख्य अतिथि के तौर पर आयोजन शिरकत करने पहुंचते हैं। वहीं प्रतिवर्ष राज्योत्सव का कार्यक्रम भी किया जाता है।


व्यवसायी हैं परेशान
घंटाघर काम्पलेक्स पर बड़ी संख्या में दुकानें संचालित हो रही है। चौक के आकर्षण को देखते हुए व्यापारियों ने काफी उम्मीद से दुकानें खरीदी है। इसकी सुंदरता में कमी आने के कारण ग्राहक भी दूरी बना रहे हैं। व्यापारियों ने बताया कि व्यवस्था के सुधार के लिए कई बार शिकायत की गयी है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

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सफाई को लेकर अनदेखी, पसरी गंदगी
देखरेख के अभाव में चौक का सौंदर्यीकरण बदहाल हो गया है। पसरी गंदगी, बिखरे निर्माण कार्य के सामान व चौक की साफ-सफाई को लेकर कर्मचारियों को सुध नहीं हैं। घंटाघर परिसर में जगह-जगह कचरों का ढेर लगा हुआ है। प्रतिदिन उठाव नहीं होने से ये सड़ जाते हैं जिससे दुर्गंध उठती है। इसके कारण लोग यहां से गुजरना तक पंसद नहीं करते हैं। कचरा फैला रहता है।


चबूतरे व फर्श की टाइल्स टूट रहीं
चौक की सौंदर्यता बढ़ाने वाली रंग-बिरंगी लाईटें खराब हो चुकी है तो वहीं कई लाईटे, चबूतरे व फर्श की टाइल्स, रेलिंग टूटने लगे हैं। फौव्वारे खराब हो चुके हैं। करोड़ों की लागत से घंटाघर का निर्माण तो करा दिया गया लेकिन इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। घंटाघर की सुंदरता खोती चली जा रही है। यहां निर्मित पार्क के आसपास पानी का जमाव रहता है जिससे दुर्गंध के साथ-साथ मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ता जा रहा है। बारिश में स्थिति और भी खराब हो जाएगी।