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जिले में बिछ जाएगा रेल लाईन का जाल, कटघोरा में होगा जंक्शन जैसा नजारा फिलहाल कोरबा-रायपुर एक्प्रेस का इंतजार

केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल की घोषणा के बाद लोगों को बेसब्री से इंतजार

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कोरबा

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Shiv Singh

Sep 29, 2018

केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल की घोषणा के बाद लोगों को बेसब्री से इंतजार

केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल की घोषणा के बाद लोगों को बेसब्री से इंतजार

कोरबा. रेल पटरियों की तीन बड़ी परियोजनओं के शिलान्यास के बाद ऊर्जाधानी रेलवे के मानचित्र पर किवदंती का रूप लेने की ओर अग्रसर है। प्रदेश की तीनो प्रमुख रेल परियोजनाओं पर कुल 12 हजार 606 करोड़ रूपए खर्च होंगे। तीनो ही परियोजनाओं के केन्द्र में कोरबा है। जिससे एक बात तो साफ है कि रेलवे के विस्तार के मामले में जिला लंबे समय से उपेक्षाओं का दंश झेल रहा था।

तीन परियोजओं के पूरा होते ही वर्तमान में रेल सुविधा विहीन कटघोरा को सबसे ज्यादा फायदा होगा यहां का नजारा किसी जंक्शन जैसा होगा। गेवरारोड से पेंड्रा रोड तक 135 किलोमीटर नई लाइन का निर्माण किया जा रहा है। जिसका काम शुरू हो चुका है। इन दोनों स्टेशन के मध्य कुल नौ स्टेशन बनेंगे। जिसमें से सात कोरबा जिले की सीमा के अंदर होंगे जबकि शेष दो स्टेशन पसान के बाद बनेंगे। इस परियोजना की कुल लागत 4970 करोड़ रूपए है। इसी तरह कटघोरा से करतली तक 22 किलोमीटर व करतली से मुंगेली, कवर्धा व खैरागढ़ के बीच 255 किमी की रेल लाईन बिछाई जागी जिसकी लागत 5950 करोड़ रूपए है। कटघोरा से एक लाईन पेंड्रा की ओर जाएगी तो दूसरी लाई करतली होते हुए डोंगरगढ़। दोनो अलग-अलग दिशाओं की लाईन कटघोरा से निकलेगी जिससे कटघोरा भविष्य में किसी जंक्शन से कम नहीं होगा।

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ये है तीसरी परियोजना जो रायगढ़ को जोड़ेगी कोरबा से
खरसिया से धरमजयगढ़ तक 104 किलोमीटर नई लाइन पर काम चल रहा है। दूसरे चरण में धरमजयगढ़ से उरगा के बीच 63 किलोमीटर नई लाइन पर काम अब शुरू होगा। पहले चरण की लागत लगभग 3055 करोड़ व द्वितीय चरण की लागत 1686 करोड़ है। धरमजयगढ़ से उरगा के बीच 06 रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं। जिले से बड़े पैमाने पर लोग रायगढ़ के लिए सफर करते हैं। लेकिन फिलहाल कोरबा से रायगढ़ जाने वाले यात्रियों के लिए सीधे तौर पर कोई भी सुविधा मौजूद नहीं है।

सड़क मार्ग से भी रायगढ़ तक का सफर बेहद जटिलताओं से घिरा हुआ है। उरगा से रायगढ़ के जुड़ते ही कोरबा से रायगढ़ के लिए ट्रेन की मांग भी उठेगी। वर्तमान में भी कोरबा-रायगढ़ ट्रेन की मांग होती रही है। इस रूट में कोरकोमा और भैसमा को रेलवे स्टेशन का दर्जा मिल सकता है।

रेलवे का फोकस कोयला लदान पर, यात्री ट्रेनें मिले तब बात बने
किसी भी नई रेल लाईन के विस्तार का केन्द्र बिन्दु कोयला खदानो से पावर प्लांट को ज्यादा से ज्यादा कोयला पहुंचाना होता है। विडंबना ही है कि यात्री सुविधाओं से ज्यादा तवज्जो अक्सर माल ढुलाई को ही दिया जाता है। 24 सितंबर को केन्द्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने कोरबा-रायपुर सूपरफास्ट ट्रेन की घोषणा की है। लेकिन यह शुरू कब से होगी इसकी कोई भी आधिकारिक पुष्टि नहीं है। क्षेत्रवासियों को फिर से बेसब्री से इस एक्सप्रेस ट्रेन का इंतजार है। हालांकि शुक्रवार को सोशल मीडिया में 6 अक्टूबर से कोरबा-रायपुर एक्प्रसे ट्रेन के शुरू होने का मैजेस वायरल हुआ था।

34 रैक औसत डिस्पैच, एक दिन का भाड़ा 10 करोड़
वर्तमान में जिले से औसतन 34 रैक कोयले का डिस्पैच प्रतिदिन किया जा रहा है। पीक सीजन में यह औसत 40 से 45 तक भी पहुंच जाता है। एक रैक में 58 वैगन होते हैं। प्रत्येक वैगन में औसतन 87 टन कोयला भरा जाता है। राज्य के बाहर कोयल से लदी प्रत्येक रैक के परिवहन के एवज में रेलवे को 30 लाख रूपए का भाड़ा एसईसीएल से प्राप्त होता है। जिसका अर्थ यह हुआ कि जिले में केवल कोयला लदान से ही रेलवे को हर दिन औसतन 10 कराड़ 20 लाख रूपए का राजस्व प्राप्त होता है।


-मंत्री जी ने एक्सप्रेस ट्रेन की घोषणा की है। जोकि जल्द ही शुरू हो जाएगी। कब से शुरू होगी इसकी तिथि के विषय में कोई आधिकारिक सूचना नहीं है।
-डॉ. बशीलाल महतो, सांसद, कोरबा

-कोरबा-रायपुर एक्प्रेस ट्रेन के विषय में सोशल मीडिया में चर्चा है। लेकिन कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं है।
-डॉ. प्रकाश सेन त्रिपाठी, सीपीआरओ, एसईसीआर जोन