जानकारी के अनुसार विकासखंड कटघोरा के गांव केराकछार की निशा चौहान को प्रसव पीड़ा होने पर परिवारजन महतारी एक्सप्रेस से रात लगभग दो बजे जिला अस्पताल पहुंचे। परिवार के सदस्य निशा को प्रसुता वार्ड तक ले गए। वहां ड्यूटी पर कार्यरत नर्स ने यह कहकर भर्ती से मना कर दिया कि अस्पताल में डिलेवरी कराने के लिए कोई डॉक्टर नहीं है। नर्स ने भर्ती तक नहीं किया। उसे अस्पताल से बाहर जाने के लिए कह दिया। गरीब परिवार के पास निजी अस्पताल जाने के लिए साधन और पैसे नहीं थे। परेशान परिवार निराश होकर निशा को अस्पताल से लेकर पैदल ही शहर से होकर केराकछार जाने के लिए निकल गए। निशा के साथ परिवार की दो महिला भी थी। वे निशा को लेकर घर जा रही थी। इस बीच पुलिस की पेट्रोलिंग पार्टी को संदेह हुआ और तीनों महिलाओं को रोक कर पूछताछ की। महिलाओं ने अपनी व्यथा सुनाई। पुलिस इन तीनों महिलाओं को लेकर रामपुर चौकी पहुंची।
ऑपरेशन की बात सुनकर पीछे हटी नर्स
डिलेवरी के लिए अस्पताल पहुंची निशा से ड्यूटी पर मौजूद नर्स ने पूछा कि उसके कितने बच्चे है? निशा ने बताया कि उसका एक पुत्र है, जिसका जन्म सिजेरिएशन से हुआ है। यह सुनते ही नर्स ने निशा को अस्पताल में बेड देने से मना कर दिया। नर्स का कहना था कि अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं है।