11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Social Pride : इनके लिए नौकरी का मतलब सिर्फ 9 से 5 की ड्यूटी नहीं, उफनते नदी में नांव से फिर 3 किमी जंगल में बाइक चलाकर पहुंचेे इलाज करने

नौकरी का मतलब सिर्फ 9 से पांच की ड्यूटी नहीं होती। बचपन में चिकित्सा सेवा का सपना जो था। नदी ऊफान में होने की वजह से ग्रामीण इलाज कराने नहीं आ सकते थे।

2 min read
Google source verification
Social Pride : इनके लिए नौकरी का मतलब सिर्फ 9 से 5 की ड्यूटी नहीं, उफनते नदी में नांव से फिर 3 किमी जंगल में बाइक चलाकर पहुंचेे इलाज करने

Social Pride : इनके लिए नौकरी का मतलब सिर्फ 9 से 5 की ड्यूटी नहीं, उफनते नदी में नांव से फिर 3 किमी जंगल में बाइक चलाकर पहुंचेे इलाज करने

कोरबा. नौकरी का मतलब सिर्फ 9 से पांच की ड्यूटी नहीं होती। बचपन में चिकित्सा सेवा का सपना जो था। नदी ऊफान में होने की वजह से ग्रामीण इलाज कराने नहीं आ सकते थे। इसलिए जान जोखिम में डालकर एक डॉक्टर अपने स्टॉफ के साथ पहले तो ऊफनते नदी को नांव से ढाई घंटे में पारकर पहुंचे। फिर पांच किमी जंगल में बाइक से गांव पहुंचकर मेडिकल कैंप लगाकर लोगों का इलाज भी किया।


जिला मुख्यालय से 120 किमी दूर नेशनल हाइवे के किनारे स्थित मोरगा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में असिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर के पद पर पदस्थ अतुल कुमार सिंह और स्टॉफ जितेन्द्र थवाईत को आसपास के दो दर्जन ग्राम पंचायत के लोगों की स्वास्थ्य सेवा की जिम्मेदारी है। मोरगा से सरगुजा बार्डर पर एक ग्राम पंचायत है साखो।

अमुमन साखो ग्राम पंचायत के लोग अपना इलाज करने प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आते हैं, लेकिन अगस्त के पहले पखवाड़े में हुई बारिश के बाद हसदेव नदी ऊफान में आ गई है। नदी के ऊफान में आने के बाद से ग्रामीणों का मुख्य मार्ग से संपर्क कट गया है। आने जाने के लिए सिर्फ नांव एकमात्र सहारा है। डॉक्टर अतुल कुमार सिंह को जानकारी मिली थी कि गांव में कुछ बच्चे व महिलाएं मौसमी बीमारी के चपेट में आ गए हैं, लेकिन इलाज कराने नहीं आ पा रहे हैं।

Read more : यहां हर दिन आवारा कुत्ते 12 लोगों को बना रहे अपना शिकार, कब खुलेगी नींद अफसरों की?

इसे देखते हुए डॉक्टर अतुल कुमार सिंह स्टॉफ जितेन्द्र थवाइत ने हौसला दिखाते हुए बारिश के बीच पहले तो नांव में सवार हुए। नांव में बाइक रखकर ऊफनते नदी को पार किया। नदी पार करने के बाद पांच किमी जंगल के रास्ते से गांव तक पहुंचे। गांव पहुंचने के बाद हेल्थ कैंप लगाया। वहां चेकअप करने के बाद दवाईयां भी दी। फिर उसी जंगल के रास्ते से नांव तक पहुंचकर नदी पार किया। वापस लौटने मेें डॉक्टरों को देरशाम हो गई थी।


आए दिन नदारद रहने वाले चिकित्सकों के लिए सीख
आएदिन कलेक्टर या फिर दूसरे डॉक्टरों के लिए सीख है जो शहर मेें रहने के बाद भी समय से नहीं पहुंचते हैं और जल्दी घर चले जाते हैंं। दूरदराज क्षेत्रों में काफी चुनौती के बीच कई डॉक्टर आज भी पूरे कर्तव्य निष्ठा के साथ काम कर रहे हैं।


बारिश में पोड़ी क्षेत्र के ये गांव होते हैं पहुंचविहिन
बारिश के बाद पोड़ी ब्लॉक के 12 गांव पहुंचविहिन हो जाते हैं। पोड़ी के अड़सरा, रानी अटारी, घोधरा, सारिसमार, बाघीनडांड, पण्डरीपानी, धनवारा, फरसवानीडांड, साखो, मुड़सिनी, बनखेता व पोंड़ीगोसाई के लोग ब्लॉक मुख्यालय व मुख्य मार्ग से कट जाते हैं। हसदेव नदी के आसपास बसे इन गांव में चिकित्सा सुविधा समय पर पहुंचे। यह बार स्वास्थ्य विभाग के लिए चुनौती की तरह होती है। समय पर इलाज नहीं होने से कई बार दिक्कत बढ़ चुकी है।