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श्रमिक संगठनों ने पेंशन फंड को घाटे से उबारने कोल इंडिया से मांगे इतने हजार करोड़, सब कमेटी ने दिए ये चार सुझाव, पढि़ए पूरी खबर…

कोल इंडिया पेंशन फंड को घाटे से उबारने के लिए सीएमपीएफ ट्रस्टी बोर्ड सब कमेटी की बैठक कोलकता में आयोजित की गई थी।

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कोरबा

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Shiv Singh

May 17, 2018

श्रमिक संगठनों ने पेंशन फंड को घाटे से उबारने कोल इंडिया से मांगे इतने हजार करोड़, सब कमेटी ने दिए ये चार सुझाव, पढि़ए पूरी खबर...

कोरबा . पेंशन फंड को घाटे से उबारने के लिए श्रमिक संगठनों ने सरकार या कोल इंडिया से २५ हजार करोड़ रुपए देने की मांग की है। कोलकता में आयोजित सब कमेटी की बैठक में श्रमिक संगठनों ने पेंशन फंड को कोल इंडिया में विलय करने का प्रस्ताव भी दिया है। लेकिन इसे प्रबंधन ने खारिज कर दिया।

कोल इंडिया पेंशन फंड को घाटे से उबारने के लिए सीएमपीएफ ट्रस्टी बोर्ड सब कमेटी की बैठक कोलकता में आयोजित की गई थी। इसमें श्रमिक संगठनों ने कोल इंडिया को कई महत्पवपूर्ण सुझाव दिया है। श्रमिक संगठनों ने केन्द्र सरकार या कोल इंडिया से पेंशन फंड में २५ हजार करोड़ रुपए देने की मांग की है।

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यूनियन का कहना है कि पेंशन देना सरकार और कंपनी का काम है। राशि की व्यवस्था करना भी कंपनी और सरकार का दायित्व है। इतना ही पेंशन फंड को घाटे से उबारने के लिए सीएमपीएफ को कोल इंडिया में विलय का प्रस्ताव भी दिया गया। लेकिन इसे कोल इंडिया ने खारिज कर दिया। प्रबंधन का कहना था कि सीएमपीएफ सांसद के कानून से बना है।

सब कमेटी को अनुशंसा का अधिकार नहीं है। श्रमिक संगठनों का कहना है कि कोल इंडिया ने शेयर धारकों को प्रत्येक साल सवा १२ करोड़ रुपए से अधिक देती है। इस स्थिति में पेंंशन फंड में भी सहयोग कोल इंडिया को करनी चाहिए। बैठक में कोल इंडिया के कार्मिक निर्देशक आरपी श्रीवास्तव, एसईसीएल के कार्मिक प्रबंधक आरएस झा, सीएमपीएफ के क्षेत्रीय आयुक्त एके सिंह, भारतीय मजदूर संघ के वाइएन सिंह, सीटू के डीडी रामानंदन और कोल इंडिया के वित्तीय प्रबंधन से जुड़े अधिकारी शामिल हुए।

पेंशन फंड पर बंद होने का खतरा
कोल इंडिया में नए कर्मचारियों की भर्ती नहीं होने और कमगारों के सेवा निवृत्त होने से पेंशन फंड पर दबाव साल दर साल बढ़ता जा रहा है। चार लाख अधिक पेंशन धारी को फंड से प्रत्येक माह राशि दी जा रही है। पेंशन फंड में राशि की आवक से ज्यादा निकासी है। इससे फंड में रुपए की कमी होने लगी है। कोल माइंस प्रोविडेंट फंड का अनुमान है कि फंड में राशि नहीं बढ़ाई गई तो २०२४ के बाद पेंशन देना कठिन होगा।

सात फीसदी अंशदान को मंजूरी का इंतजार
पेंशन फंड को मजबूत करने के लिए जेबीसीसीआई की कई बैठकों में चर्चा हुई है। १०वें वेतन समझौते पर दस्तखत करने से पहले कोल इंडिया के पदाधिकारी और श्रमिक नेता पेंशन फंड को मजबूत करने के लिए सात सात फीसदी अंशदान पर सहमत हुए थे। श्रमिक संगठनों की ओर से कहा गया था कि फंड में संयुक्त रूप से १४ फीसदी अंशदान होने पर कोल इंडिया पेंशन फंड में २०३२ रुपए की कमी नहीं होगी।

सब कमेट ने दिए ये सुझाव
-कोयला कर्मचारियों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के लिए सीएमपीएफ एक्ट और सीएमपीएस संसद के नियम से बने है। पेंशन मिले इसे सुनिश्चित किया जाए।
-सीएमपीएफ को कोल इंडिया में विलेय किया जाए। इससे प्रशासनिक व्यय नहीं होगा। फंड मजबूत होगा।
-न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपए किया जाए।
-हर वेतन समझौते के दौरान समीक्षा हो।