पेंशन फंड पर बंद होने का खतरा
कोल इंडिया में नए कर्मचारियों की भर्ती नहीं होने और कमगारों के सेवा निवृत्त होने से पेंशन फंड पर दबाव साल दर साल बढ़ता जा रहा है। चार लाख अधिक पेंशन धारी को फंड से प्रत्येक माह राशि दी जा रही है। पेंशन फंड में राशि की आवक से ज्यादा निकासी है। इससे फंड में रुपए की कमी होने लगी है। कोल माइंस प्रोविडेंट फंड का अनुमान है कि फंड में राशि नहीं बढ़ाई गई तो २०२४ के बाद पेंशन देना कठिन होगा।
सात फीसदी अंशदान को मंजूरी का इंतजार
पेंशन फंड को मजबूत करने के लिए जेबीसीसीआई की कई बैठकों में चर्चा हुई है। १०वें वेतन समझौते पर दस्तखत करने से पहले कोल इंडिया के पदाधिकारी और श्रमिक नेता पेंशन फंड को मजबूत करने के लिए सात सात फीसदी अंशदान पर सहमत हुए थे। श्रमिक संगठनों की ओर से कहा गया था कि फंड में संयुक्त रूप से १४ फीसदी अंशदान होने पर कोल इंडिया पेंशन फंड में २०३२ रुपए की कमी नहीं होगी।
सब कमेट ने दिए ये सुझाव
-कोयला कर्मचारियों के कल्याण और सामाजिक सुरक्षा के लिए सीएमपीएफ एक्ट और सीएमपीएस संसद के नियम से बने है। पेंशन मिले इसे सुनिश्चित किया जाए।
-सीएमपीएफ को कोल इंडिया में विलेय किया जाए। इससे प्रशासनिक व्यय नहीं होगा। फंड मजबूत होगा।
-न्यूनतम पेंशन एक हजार रुपए किया जाए।
-हर वेतन समझौते के दौरान समीक्षा हो।