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CG का काला सच : इस जिले में 1583 महिलाओं से हुई हैवानियत, 512 नाबालिग भी भर रहीं सिसकियां

राज्य बनने के बाद से 1583 माताएं, बहनें व बच्चियोंं से हुआ दुष्कर्म, 8 साल की मासूम की हाल ही में अनाचार के बाद की गई थी हत्या

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Raped

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बैकुंठपुर. छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद कोरिया में लगातार अपराध का ग्राफ बढ़ा है और पिछले 17 साल में 512 नाबालिग अनाचार के शिकार हुए हैं। जबकि कुल 1583 महिलाएं-युवतियां व नाबालिग हैवानियत का शिकार हुई हैं। अपराध का यह ग्राफ शहरी एरिया में 55.54 फीसदी और ग्रामीण एरिया में 44.05 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। नाबालिगों के अनाचार के मामले में मनेंद्रगढ़ क्षेत्र में सबसे अधिक 87 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। वहीं चिरमिरी 64 प्रकरण के साथ दूसरे पायदान पर है।


छत्तीसगढ़ बनने के बाद १६ साल में कोरिया के 12 थाने में नाबालिग से अनाचार के 512 मामले दर्ज किए गए हैं। छत्तीसगढ़ बनने से पहले 20 प्रतिशत अपराध का ग्राफ रहा और निर्माण के बाद 55.45 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। मनेंद्रगढ़ क्षेत्र में सबसे अधिक नाबालिगों के अनाचार के मामले में ८७ प्रकरण दर्ज किए गए हैं।

वहीं चिरमिरी नगर निगम क्षेत्र 64 प्रकरणों के साथ दूसरे पायदान पर है। जबकि जिले में एक मात्र नगर निगम चिरमिरी की जनसंख्या लगभग 80 हजार बताई गई है। वहीं मनेंद्रगढ़ क्षेत्र की 35 हजार की आबादी है। पुलिस रिकार्ड में यह आंकड़े 2000 से अगस्त 2016 तक दर्ज हैं। वहीं मार्च २०१८ तक आंकड़े और बढऩे की बात कही जा रही है।


प्रकरण दर्ज में तीसरे पायदान पर बैकुंठपुर
बैकुंठपुर थाना क्षेत्र में पिछले १६ साल (2000-अगज्ञत 2016 तक) में 59 नाबालिगों से अनाचार का मामला दर्ज किया गया है। बैकुंठपुर की जनसंख्या लगभग 32 हजार है। अपराध दर्ज करने के मामले में बैकुंठपुर एरिया जिले में तीसरे पायदान पर है। इसके अलावा पोंड़ी, चरचा और झगराखांड़ थाना क्षेत्र में प्रकरण दर्ज किए गए हैं।


थानावार बाल अपराध के आंकड़े
नाम प्रकरण अपराध प्रतिशत
मनेंद्रगढ़ 87 16.99
चिरमिरी 64 12.05
बैकुंठपुर 59 11.52
चरचा 22 4.29
पोड़ी 33 6.44
झगराखांड़ 19 3.71
पटना 46 8.98
सोनहत 43 8.39
खडग़वां 61 11.91
केलहरी 12 2.34
जनकपुर 58 11.32
कोटाडोल 08 01. 56


1071 महिलाएं अपराध से पीडि़त, अपनी सुरक्षा को लेकर डरी-सहमीं
छत्तीसगढ़ गठन के बाद कोरिया में पिछले 17 साल में महिला उत्पीडऩ (आदिवासी उत्पीडऩ, दलित उत्पीडऩ, अल्पसंख्यक) के 1071 मामले दर्ज किए गए हैं। महिला उत्पीडऩ के अपराध का ग्राफ लगातार बढऩे लगा है। इससे हमारी माता, बहन व बच्चियां अपनी सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित हैं और हमेशा डरी-सहमी रहती हैं। ग्रामीण अंचल में जनपद पंचायत खडग़वां थाना 682 मामले दर्ज कर पहले स्थान पर है। शहरी क्षेत्र में नगर निगम चिरिमिरी 294 मामले दर्ज कर दूसरे स्थान पर है।


दिल दहला देने वाली अनाचार की घटना भी यहीं की
पिछले 17 साल में महिला अपराध दर्ज करने में खडग़वां थाना अव्वल है। जिसमें महिला उत्पीडऩ से संबंधित कुल 682 मामले दर्ज किए गए हैं। शहरी एरिया में चिरिमिरी थाना में 294 मामले दर्ज कर दूसरे स्थान पर है। वहीं वर्ष 2018 में चैत्र नवरात्र पर आठ साल की मासूम बच्ची से अनाचार कर पत्थर से कुचलकर हत्या करने का दिल दहला देने वाला मामला भी खडग़वां थाना में दर्ज है।


सखी वन स्टॉप सेंटर: घरेलू हिंसा से 79 महिलाएं पीडि़त
महिला एवं बाल विकास विभाग बैकुंठपुर द्वारा संचालित सखी वन स्टॉप सेंटर में पिछले छह महीने में घरेलू हिंसा से पीडि़त ७९ महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई है। महिला हेल्पलाइन नंबर 181 में फोन कर शिकायत करने पर प्रकरण तैयार किया गया है। वर्तमान में ४७ प्रकरण का निराकरण हो चुका है। वन स्टॉप सेंटर में हिंसा या संकटग्रस्त महिलाओं को सुविधा के अलावा चिकित्सालय या आश्रय गृह में भेजवाने की व्यवस्था, चिकित्सकीय सहायता, एफआईआर की सुविधा, परामर्शदाता की सेवाएं, विधिक सहायता, आपातकालीन स्थिति में पीडि़ता का वन स्टॉप सेंटर में अधिकतम 5 दिन तक रुकने व खाने की व्यवस्था व कोर्ट व पुलिस से सबंधित सुविधाएं दी जाती हैं।


पुलिस लगातार कर रही प्रयास
महिला,बाल अपराध सहित विभिन्न प्रकार के अपराधों पर अंकुश लगाने पुलिस लगातार प्रयास कर रही है। महिला, बच्चियों को छेडख़ानी से रक्षा करने व जागरूक करने शक्ति टीम का भी गठन किया गया है। जो कि स्कूल, कॉलेज में जाकर जागरूक कर रही है और समय-समय पर टे्रनिंग कैंप में प्रशिक्षण भी देती है। किसी भी प्रकार की शिकायत, रिपोर्ट दर्ज होने पर तत्काल एक्शन भी लिया जाता है और हर थाना को तत्काल कार्यवाही करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं।
निवेदिता पाल शर्मा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, बैकुंठपुर


पीडि़ता को दी जाती हैं सुविधाएं
सखी सेंटर में सभी वर्ग की महिलाओं सहित 18 वर्ष से कम उम्र की बालिकाएं को सलाह, सहायता, मार्गदर्शन एवं संरक्षण दिया जाता है। चिकित्सकीय सहायता, एफआईअर की सुविधा, परामर्शदाता की सेवाएं, विधिक सहायता, आपातकालीन स्थिति में पीडि़ता का वन स्टॉप सेंटर में अधिकतम 5 दिन तक रुकने व खाने की व्यवस्था व कोर्ट व पुलिस से सबंधित सुविधाएं दी जाती है।
रानी बड़ेरिया, प्रशासक सखी वन स्टॉप सेंटर बैकुंठपुर