
योगेश चंद्रा@बैकुंठपुर. CG news : छत्तीसगढ़ में पहली बार दो नदियों को जोड़ने की करीब 115 करोड़ की लागत से बहुउद्देश्यीय योजना तैयार की गई है। इस योजना को राज्य सरकार की मंजूरी का इंतजार है। इससेमनेंद्रगढ़ नगर पालिका और तीन अन्य नगर पंचायतों को अगले 40 साल तक भरपूर जल की आपूर्ति होगी। योजना के तहत छत्तीसगढ़ से निकलकर मध्यप्रदेश में बहने वाली केवई नदी को हसदेव नदी से जोड़ने की तैयारी है। योजना के पूरा होने पर कोरबा के बांगो परियोजना को भी अनवरत पानी मिलता रहेगा।
जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के अविभाजित कोरिया के मनेन्द्रगढ़ विकासखंड ग्राम बैरागी की पहाड़ी क्षेत्र केवई नदी निकली है। यह नदी मध्यप्रदेश की ओर बहती है। सघन वन एवं पहाड़ी जल ग्रहण क्षेत्र होने से पर्याप्त मात्रा में जल का बहाव बारहमासी रहता है। केवई नदी के जल बहाव का छत्तीसगढ़ में अभी तक उपयोग नहीं होता है। मामले में केवई एवं हसदेव नदी को आपस में जोड़कर बहुउद्देशीय जल परियोजना तैयार है। केवई नदी छत्तीसगढ़ में लगभग 39 किलोमीटर लम्बाई में बहती है,
जिसका जल ग्रहण क्षेत्रफल 459.34 वर्ग किलो मीटर है। प्रस्तावित बहुउद्देशीय जल परियोजना स्थल पर केवई नदी की लम्बाई 21 किलोमीटर है। जिसका जल ग्रहण क्षेत्रफल 147.25 वर्ग किलोमीटर है। नदी के शेष भाग 18 किलोमीटर डाउन स्ट्रीम को विस्तार के लिए सुरक्षित रखा गया है। केवई नदी को ग्राम ताराबहरा के नजदीक निर्मित स्टापडेम कम रपटा से लिंक नहर से हसिया नदी के कैचमेंट एरिया के ग्राम रतौरा में जोड़ा जाना है। बहुउद्देशीय जल परियोजना का प्राजेक्ट रिपोर्ट 11449.89 लाख का प्रस्तुत किया गया है। हालांकि परियोजना वर्ष 2017-18 के बजट में सम्मिलित है और वर्ष 2018-19 में एक करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है। लेकिन राज्य सरकार से मंजूरी नहीं मिलने के कारण यह परियोजना लंबित पड़ी है।
5 गांव की 500 हेक्टेयर की जमीन की होगी सिंचाई : प्रस्तावित स्थल पर डायवर्सन वियर बनाकर करीब 51 किलोमीटर लम्बाई में नहर या पाईप के माध्यम से 0.231 मिलियन घर मीटर हर महीने पानी हसदेव नदी में छोडऩा प्रस्तावित है। परियोजना से मनेन्द्रगढ़ के 5 ग्राम रोकड़ा, लोहारी, महाई, मटुकपुर, पुटाडांड में करीब 500 हेक्टयर(1235 एकड़) कृषि भूमि में प्रस्तावित नहर से लिफ्ट इरिगेशन के माध्यम से सिंचाई सुविधा मिलेगी। वर्तमान में
हसदेव नदी से पेय जल आपूर्ति करने मनेंद्रगढ़, झगराखांड़ आवर्धन जल प्रदाय योजना है। नगर पंचायत नई लेदरी एवं खोंगापानी को भी हसदेव नदी से पेय जल आपूर्ति करने प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
हसिया नदी
एमसीबी के तत्कालीन कलेक्टर ने प्रोजेक्ट को लेकर रुचि दिखाई थी। संयुक्त टीम ने मौके पर जाकर स्थल का निरीक्षण भी किया था। प्रोजेक्ट की लागत अधिक है और टोटल फॉरेस्ट लैंड होने के कारण प्रोजेक्ट लंबित है। हालांकि प्रोजेक्ट बहुत अच्छा है, मनेंद्रगढ़ सहित चार नगर पंचायत को पर्याप्त पानी मिलेगा। हसिया नदी भी गर्मी में जीवित रहेगी। -ए टोप्पो, कार्यपालन अभियंता जल संसाधन विभाग, कोरिया
हसिया नदी को लिंक नहर बनाकर केवई और हसदेव को जोड़ने की है योजना
जल संसाधन के अनुसार केवई नदी के 45 वर्ग किलो मीटर कैचमेंट एरिया का 15-20 क्यूसेक पानी एवं बारहमासी प्रवाह का 1-2 क्यूसेक पानी मध्यप्रदेश में चला जाता है। इस पानी का उपयोग सिंचाई और निस्तारी के लिए हो सकेगा। केवई नदी के पानी को डायवर्ट करने के लिए लिंक नहर का निर्माण किया जाएगा। केवई नदी में बने स्टापडेम कम रपटा के समीप से 17.50 किलोमीटर लम्बी लिंक नहर बनाकर हंसिया नदी और हसदेव से जोड़ने के लिए सर्वेे हो चुका है। लिंक नहर के बनने से गर्मी में मृत अवस्था में रहने वाली हसिया नदी भी जीवित होगी। हसदेव की सहायक नदी हसिया नदी उ—म स्थल ग्राम घुटरा के पहाड़ी से निकलने के बाद करीब 30-31 किलोमीटर प्रवाहित होकर मनेन्द्रगढ़ के पास हसदेव नदी में मिलती है। लिंक नहर से केवई नदी का पानी हसिया नदी से होकर हसदेव नदी में लाया जाएगा।
Published on:
07 Jun 2023 12:33 pm
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