26 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

एसइसीएल चिरमिरी: बरतुंगाहिल कोयला खदान तीन महीने के भीतर बंद होगी, ४२८ कर्मचारी स्थानांतरित होंगे

- एसइसीएल प्रबंधन ने कर्मियों से तबादले का विकल्प आवेदन मंगाया, खदान में रोजाना ३५० टन तक कोयला उत्पादन होता है।

2 min read
Google source verification
,

एसइसीएल चिरमिरी: बरतुंगाहिल कोयला खदान तीन महीने के भीतर बंद होगी, ४२८ कर्मचारी स्थानांतरित होंगे,एसइसीएल चिरमिरी: बरतुंगाहिल कोयला खदान तीन महीने के भीतर बंद होगी, ४२८ कर्मचारी स्थानांतरित होंगे




बैकुंठपुर/चिरमिरी पोड़ी। एसइसीएल चिरमिरी के बरतुंगाहिल कोयला खदान में तीन महीने के भीतर उत्पादन व उत्पादकता संबंधी कार्यों को बंद किया जाएगा। मामले में कार्यरत ४२८ कर्मियों से १५ दिन के भीतर अपनी इच्छानुसार तबादला करने का विकल्प आवदेन मंगाया गया है। वर्तमान में बरतुंगा खदान में रोजाना ३००-३५० टन कोयला उपादन होता है।
एसइसीएल चिरमिरी क्षेत्र कार्यालय में सूचना चस्पा कराया गया है। जिसमें लिखा है, एसइसीएल चिरमिरी क्षेत्र के उपक्षेत्र के अंतर्गत बरतुंगाहिल भूमिगत खदान में तकनीकी कारणों से दो से तीन महीने में उत्पादन एवं उत्पादकता संबंधि क्रियाकलाप को बंद किया जाना प्रस्तावित है। ऐसे परिस्थिति में बरतुंगाहिल भूमिगत खदान में कार्यरत कर्मचारियों को उचित लाभकारी श्रमशक्ति उपयोग करने चिरमिरी क्षेत्र के अन्य खदान, इकाई अथवा उपक्षेत्र में स्थानांतरित किया जाना होगा। मामले में कार्यरत समस्त कर्मचारी वर्तमान पदस्थापना स्थल से अपनी इच्छा से चिरमिरी क्षेत्र के अन्य खदान, इकाई अथवा उपक्षेत्र में स्थानांतरण चाहते हैं। तो वे उपक्षेत्रीय प्रबंधक चिरमिरी उपक्षेत्र के समक्ष पंद्रह दिन के भीतर नियमानुसार आवेदन प्रस्तुत करें। निर्धारित समयावधि के भीतर आवेदन प्रस्तुत नहीं करने पर प्रबंधन विभागीय आवश्यकता अनुसार बरतुंगाहिल भूमिगत खदान के कर्मचारियों को प्रशासनिक स्तर पर चिरमिरी क्षेत्र के अन्य खदान,इकाई अथवा उपक्षेत्र में स्थानांतरण कार्रवाई करेगा।

वर्ष १९९५-९६ में खदान खुली थी, रोजाना तीन हजार टन कोयला उत्पादन होता था
जानकारी के अनुसार वर्ष १९९५-९६ में अंजनहिल और बरतुंगा भूमिगत खदान खुली थी। जिसमें रोजाना तीन हजार टन कोयला उत्पादन और करीब तीन हजार से अधिक अधिकारी-कर्मचारी कार्यरत थे। वर्ष २०१० में ६ मई को हादसा हुआ और स्थानीय एसइसीएल प्रबंधन ने माइंस से कोयले का उत्खनन बंद कर दिया था। केवल औपचारिकता के तौर पर अन्य कार्यों को अंजाम दिया जाता था। वहीं जुलाई २०१७ को कोल इंडिया की लंबी जांच और कार्रवाई के बाद खदान को भूमिगत परियोजना सूची से हटाकर ताला लगा दिया गया है। वहीं बरतुंगाहिल खदान में रोजाना ३००-३५० टन कोयला उत्पादन होता है। जिसमें ४२८ कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनको चिरमिरी क्षेत्र के अन्य कोयला खदानों में तबादला किया जाएगा।

अंजनहिल माइंस का खदान नंबर-३, अब बरतुंगा हिल खदान के नाम से खुलेगी
जानकारी के अनुसार अंजनहिल कोयला खदान में बड़ा हादसा हुआ, उस समय खदान नंबर-३ संचालित थी। जिसका मुहाना दूसरे तरफ से खुलता था। हादसे के बाद खदान नंबर-३ को भी बंद कर दिया गया था। मामले में एसइसीएल के ग्लोबल टेंडर के हिसाब से अब अंजनहिल और बरतुंगाहिल दो खदानें खुलेंगी। अंजनहिल की खदान नंबर-३ को बरतुंगाहिल खदान के नाम से खोली जाएगी।

ग्लोबल ऑक्शन निकाला: अंजनहिल व बरतुंगाहिल खदान निजी हाथों में सौंपी जाएगी
अंजनहिल माइंस चिरमिरी में कोल इंडिया का सबसे बड़ा हादसा होने के १२ साल बाद अब दो माइंस बनाकर निजी हाथों में सौंपी जाएगी। एसइसीएल बिलासपुर ने निजी हाथों में कॉट्रैक्ट पर देने ग्लोबल ऑक्शन निकाला है। अंजनहिल और बरतुंगाहिल दो खदानें दोबारा खुलेंगी। जिसे १०-१० मिलियन रुपए सिक्यूरिटी पर २५-२५ साल के लिए कॉट्रैक्ट पर दिया जाएगा।

बरतुंगाहिल कोयला खदान में वर्तमान में रोजाना ३००-३५० टन कोयला उत्पादन हो रहा है। जिसमें मैन पावर ४२८ है। जिनको अन्यत्र स्थानांतरण करना है। खदान में कोयला उत्पादन करीब २-३ महीने चलेगा।
बजरंगी साही, महामंत्री एचएमएस यूनियन एसइसीएल चिरमिरी

एसइसीएल ने चि_ी जारी किया है। जिसमें बरतुंगाहिल खदान के कर्मचारी, जो दूसरे खदान में जाने आवेदन कर सकते हैं। खदान में तकनीकी कारणों से कुछ माह बाद उत्पादन बंद होने की बात कही है। कुछ श्रमिकों ने दूसरे खदान के लिए आवेदन भी दिया है।
***** राज नायक, क्षेत्रीय सचिव एटक यूनियन चिरमिरी