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राजस्थान का एक ऐसा शहर, जहां 24 घंटे नलों से जलापूूर्ति

ताकत : सदानीरा चम्बल नदी का अथाह जलभंडार है, नल चालू करते ही आ रहा पानीकमजोरी : सैंकड़ों मल्टीस्टोरी व आवासीय योजनाओं के लोग चम्बल के मीठे पानी से वंचित

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राजस्थान का एक ऐसा शहर, जहां 24 घंटे नलों से जलापूूर्ति

राजस्थान का एक ऐसा शहर, जहां 24 घंटे नलों से जलापूूर्ति

के. आर. मुण्डियार
कोटा.
राजस्थान में एकमात्र कोटा ही ऐसा शहर हैं, जहां अधिकतर क्षेत्रों में 24 घंटे मीठे पानी की जलापूर्ति की जा रही है। सदानीरा चम्बल नदी के वरदान से कोटा में पानी की कोई कमी नहीं हैं। चम्बल में अथाह जलराशि का भंडार है। चूंकि यहां पानी बहुत अधिक हैं, इसलिए यहां के लोगों को पानी की बचत एवं स्टोरेज की कोई चिन्ता बिल्कुल भी नहीं है। यही वजह है कि कोटा शहर के घरों में पानी का टांका (टैंक) निर्माण का चलन ही नहीं है। नए मकान बनाने के दौरान अधिकतर लोग पानी का टैंक बनाते ही नहीं।


कोटा के इन क्षेत्रों में 24 घंटे जलापूर्ति-
कोटा में पुराने शहर सहित कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां चम्बल के मीठे पानी की 24 घंटे जलापूर्ति की जा रही है। घरों में नल खोलते ही पानी आ रहा है। इसलिए अधिकतर लोग पानी बचत, संग्रहण या स्टोरेज के प्रति कोई परवाह नहीं है। पुराना कोटा, कैथूनीपोल, टिपटा, घंटाघर, मोखापाड़ा, खाईरोड, श्रीपुरा, दादाबाड़ी समेत अन्य कॉलोनियों में नल चालू करते ही मीठा पानी आ रहा है। कोटा के शेष क्षेत्रों में सुबह व शाम दो पारी में जलापूर्ति की जा रही है।


अथाह जल है, फिर भी डेढ़ लाख लोग वंचित-
कोटा शहर में चम्बल के वरदान से अथाह जलराशि का भंडार है। कोटा बैराज से निकलने वाली नहरों से हाड़ौती ही नहीं बल्कि मध्यप्रदेश तक सिंचाई हो रही है। लेकिन चम्बल के किनारे 300 से अधिक मल्टी स्टोरी सोसायटी एवं कई आवासीय योजनाओं, कोचिंग हॉस्टल में रहने वाले करीब डेढ़ लाख रहवासी फ्लोराइडयुक्त पानी पीने को मजबूर है। जलदाय विभाग इन योजनाओं में चम्बल का मीठा पानी नहीं पहुंचा पा रहा है।


आंकड़ों से समझें कोटा की ताकत व कमजोरी-
चम्बल की धरा पर बसने का सुख-
-154700 पानी के कनेक्शन है कोटा शहर में
-280 एमएलडी जलापूर्ति की जा रही है अकेलगढ़ जल शोधन केन्द्र से।
-130 एमएलडी पानी वितरित किया जा रहा है सकतपुरा जल शोधन केन्द्र से।
-270 लीटर की मात्रा में प्रति व्यक्ति दिया जा रहा है पानी।
-24 घंटे जलापूर्ति हो रही है कि आधे से ज्यादा शहर में

लापरवाह सिस्टम की कमजोरी : इनको कब मिलेगी राहत-
-150000 से ज्यादा लोग चम्बल के पानी से वंचित कोटा शहर में
-300 करीब कुल मल्टी स्टोरी बिल्डिंग/ बहुमंजिला आवासीय योजना मीठे पानी से वंचित
-1000 से अधिक हॉस्टल में बोरिंग व टैंकरों से जलापूर्ति
-20 हजार छात्रों को चम्बल का पानी नहीं मिल रहा

डेढ़ लाख लोगों के हक का पानी व्यर्थ बह जाता है--
-410 एमएलडी पानी का उत्पादन करता है जलदाय विभाग
-15 से 20 प्रतिशत मानी जाती है पानी की छीजत
-25 प्रतिशत के करीब पानी कोटा में हो रहा है व्यर्थ
-10 प्रतिशत विभाग की खामी से व्यर्थ हो रहा पानी
- 1.6 लाख लोगों प्यास बुझाई जा सकती है इस व्यर्थ बहने वाले पानी से



अफसरों का दावा : ये योजना प्रगति पर-
वर्ष 2036 तक की जनसंख्या को देखते हुए नगर विकास न्यास के माध्यम से दो स्थानों पर 120 एमएलडी की क्षमता के वाटर फिल्टर प्लांट का निर्माण कराया जा रहा है।

यह है हकीकत : बिना विजन के काम कर रहे अफसर
पेजयल योजनाओं को लेकर जलदाय विभाग विजन के साथ काम नहीं कर रहा है। वर्ष 2011 की जगणना के अनुसार ही कोटा शहर की आबादी 10 लाख से ज्यादा थी और 2031 तक कोटा शहर की जनसंख्या में 21 लाख होने का अनुमान है, लेकिन उसकी तुलना में जलदाय विभाग योजना पर कार्य नहीं कर रहा है। जबकि कोटा शहर का तेजी से विस्तार हो रहा है।

लाइनों के रखरखाव में भी खामी
कोटा शहर में कई क्षेत्रों में पुरानी लाइनों का जाल बिछा है। जर्जर लाइनों के रखरखाव को लेकर अफसर गंभीर नहीं है। आए दिन लाइन क्षतिग्रस्त होकर हर रोज लाखों लीटर पानी व्यर्थ बहता रहता है।

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हाड़ौती ले मारवाड़ से प्रेरणा-
मारवाड़ : अल्पवृष्टि व सूखी नदियां, इसलिए बूंद-बूंद सहेजने का जज्बा-
-राजस्थान के जोधपुर, बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, पाली, अजमेर सहित अन्य जिलों में जल संग्रहण व भंडारण घर-घर व ढाणी-ढाणी में होता है।
-उक्त जिलों के लोग वर्षा जल को भी संग्रहित करके उस पानी को पीने व अन्य कार्यों में पूरे साल काम लेते हैं।
-शहरी क्षेत्रों की कॉलोनियों में हर घर में पानी का टैंक बना हुआ है। नल के कनेक्शन का पानी टैंक में स्टोरेज करने के बाद पानी काम में लेते हैं।

हाड़ौती : यहां अतिवृष्टि व सदानीर नदियां, इसलिए अमृत का कम है मोल-
-नदियों के वरदान वाले हाड़ौती क्षेत्र में कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ मेंं वर्षा जल संग्रहण, पानी की बचत एवं भंडारण के प्रति कोई जागरूकता नहीं है।
-कोटा शहर में तो अधिकतर घरों में ग्राउंड फ्लोर पर पानी स्टोरेज के टैंक की कोई व्यवस्था तक नहीं है।
-नलों के कनेक्शन से आना वाला पानी सीधे कीचन, बाथरूम आदि में काम लिया जा रहा है। नल के पानी में प्रेशर भी इतना अधिक रहता है कि छत पर रखी टंकियों में पानी पहुंच जाता है।

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अतिरिक्त मुख्य अभियंता महेश जांगिड़ से सीधी बात-
सवाल: आवासीय योजनाओं में पानी पहुंचाने की क्या योजना है, इसमें किस तरह की बाधा आ रही है।
जवाब: कुछ आवासीय कॉलोनियों में नगर विकास न्यास ने सेटअप लगाए हैं, इससे इनमें जलापूर्ति भी की जा रही है। मंडाना-बोराबास पेयजल योजना में भी कुछ कॉलोनियों को जोडऩे का प्रयास किया जा रहा है।
सवाल: पेयजल आपूर्ति बढ़ाने के क्या प्रयास किए जा रहे हैं।
जवाब: काफी पुरानी लाइनों को बदला गया है। इससे काफी पानी बर्बाद होता था। सकतपुरा व श्रीनाथपुरम् में बनाए जा रहे वाटर फिल्टर प्लांट से काफी मदद मिलेगी। अभी कोटा में 410 एमएलडी पानी मिल रहा है।
सवाल: भविष्य की जरूरत को देखते हुए पूरे कोटा शहर के लिए क्या योजना है
जवाब: कोटा में पानी की कमी नहीं है। भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए ही सकतपुरा व श्रीनाथपुरम में 70 व 50 समेत कुल 120 एमएलडी क्षमता के प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। जल्द इसका फायदा शहरवासियों को मिलेगा।
सवाल : क्या पिछले तीन वर्षों में कोई प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा है।
जवाब: पाइप लाइनों को बदलने कुछ प्रस्ताव भेजे हैं। विभाग के अधिकारियों को शहर की पानी की आवश्यकताओं को देखते हुए अध्ययन करके प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा है। जल्द प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजेंगे।