
कोटा .
साहब, हम गरीब जरूर है। रोजाना ऑटो चलाकर मुश्किल से 200-300 रुपएकमा लेते है। इससे परिवार का पेट पालते हैं, लेकिन इतने बेईमान भी नहीं
कि किसी की खोई हुई चीज पर अपना अधिकार जमा ले। यह कहना था उस ऑटो चालकका, जिसे अपने ऑटो में एक लावारिश बैग मिला।
विज्ञान नगर निवासी ऑटोचालक रामेश्वर साहू भले ही 9वीं तक पढ़ा लिखा है। लेकिन परिवार द्वारा सिखाया गया ईमानदारी का पाठ आज भी उसे याद है। जिसनेखोए हुए बैग को भले ही पुलिस की कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए थाने में जमा नहीं कराया। लेकिन ईमानदारी जिंदा होने के कारण वह बैग लेकर पत्रिका कार्यालय पहुंचा। बैग को खोल कर देखा तो उसमें लैपटॉप, दवाइयां, डोक्यूमेंट्स रुपए आदि सामान रखे हुए थे। साथ में एक परिचय पत्र भी रखा हुआ था। जो जयपुर निवासी प्रवीण चौरसिया का था।
प्रवीण राजस्थान इलेक्ट्रोनिक्स एंड इन्स्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड सूरत में इंजीनियर है। जो शनिवार को ही जयपुर से कोटा आए थे। परिचय पत्र में लिखे मोबाइल नम्बर के आधार पर प्रवीण को सूचित कर बैग लौटाया।
थैंक्स पत्रिका
प्रवीण ने बताया कि बैग में जरूरी डोक्यूमेंट्स व लैपटॉप में महत्वपूर्ण डाटा सेव थे। अगर बैग नहीं मिलता तो मेरा तो सब कुछ बर्बाद हो जाता। जल्दबाजी में ऑटो से उतर कर मैं तो निकल ही गया था। बाद में ध्यान आया, तब तक ऑटो जा चुका था। मैं तो एफआईआर दर्ज कराने के लिए थाने में बैठा हुआ था। इसी दौरान पत्रिका से फोन आया कि आपका बैग मिल गया। उस ऑटोचालक व पत्रिका का लाख-लाख धन्यवाद जो उन्होंने मेरा खोया हुआ बैग लौटाया।
Updated on:
30 Dec 2017 04:39 pm
Published on:
30 Dec 2017 02:32 pm
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