हाबूलाल शर्मा
Rice Export: केन्द्र सरकार की ओर से चावल निर्यात पर रोक लगाने का असर हाड़ौती के किसानों पर भी पड़ रहा है। निर्यात नहीं होने से धान (चावल) के दामों में प्रति क्विंटल 400 से 500 रुपए की गिरावट आ गई है। इससे किसान परेशान हैं। प्रदेश में हाड़ौती धान उत्पादन में पहले पायदान पर है। इन दिनों कोटा, बूंदी और बारां की कृषि मंडियां धान से अटी पड़ी हैं।
हाड़ौती अंचल में खरीफ सीजन में डेढ़ लाख हैक्टेयर से अधिक में धान की बुवाई है। हाल ही मंडियों में नए धान की जबर्दस्त आवक शुरू हुई है। दो दिन में चार लाख बोरी धान मंडियों में बिकने आ गया, लेकिन निर्यातकों ने खरीद से हाथ खींच लिए। इस कारण दामों में गिरावट आ गई है।
इन देशों में होता है निर्यात
बूंदी के बासमती चावल के स्वाद की दुनिया कायल है। यहां के चावल की इराक, इरान, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमिरात आदि में काफी मांग है।
सालाना 300 करोड़ का टर्नओवर
हाड़ौती में चावल का वार्षिक टर्नओवर 300 करोड़ से ऊपर चला गया है। बूंदी में कुल उत्पादिक चावल का 80 से 90 प्रतिशत चावल देश व विदेश में भेजा जा रहा है। एक्सपोर्ट बंद करने से चावल का कारोबार प्रभावित हुआ है और पिछले साल के मुकाबले पिछले तीन माह में निर्यात में 27 प्रतिशत की कमी आई है।
एक्सपर्ट : निर्यात चालू करने की मांग
चावल एक्सपोर्टर नीलेश पटेल ने बताया कि चावल की सभी किस्मों का निर्यात चालू करने की मांग को लेकर हाल ही केन्द्रीय मंत्री पीयूष गोयल से वार्ता हुई है। उन्होंने भी निर्यात नियमों के सरलीकरण पर सहमति जताई है। चावल अभी प्रति मीट्रिक टन 1200 डॉलर पर बिलिंग पर निर्यात किया जाता है। इससे घटाकर 850 डॉलर करने की मांग की है। इससे बासमती चावल की सभी किस्मों का निर्यात हो सकेगा।
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इस साल धान की बुवाई में पिछले साल के मुकाबले 10 से 15 प्रतिशत ज्यादा लागत आई है।निर्यात पर रोक के कारण दामों में गिरावट आ गई। केन्द्र सरकार को किसानों के हित में निर्यात पर तुरंत रोक हटानी चाहिए। मौजूदा भावों में किसानों की लागत भी निकलना मुश्किल है। – दशरथ कुमार, किसान नेता
फैक्ट फाइल
– 1.57 लाख हैक्टेयर में कोटा संभाग में धान की बुवाई।
– 6 लाख मीट्रिक टन धान के उत्पादन का अनुमान।
– 3000-3200 रुपए प्रति क्विंटल इस साल धान बिक रहा।
– 3400 से 3500 रुपए प्रति क्विंटल धान पिछले साल बिका था।
– 30 फीसदी कोटा संभाग में खरीफ उत्पादन में धान का योगदान माना जाता है।