scriptBanshi lal Suicide: बेटी की आंखों से टपके आंसू, बोली-साहब, पिता खोया है, कोई कितना भी बाहुबली हो पर इंसाफ चाहिए हमें | Banshilal Suicide: Bundi police afraid of Bahubali MLA Prahalad Gunjal | Patrika News
कोटा

Banshi lal Suicide: बेटी की आंखों से टपके आंसू, बोली-साहब, पिता खोया है, कोई कितना भी बाहुबली हो पर इंसाफ चाहिए हमें

बेटा अभिषेक और बेटी सिमरन की आंखों के आंसू नहीं सूख रहे। बाप का साया आंखों से दूर नहीं हो रहा। वे बताते हैं कि ‘चाहे कोई कितना भी बाहुबली हो, हमें इंसाफ चाहिए।

कोटाJun 07, 2018 / 10:19 am

​Zuber Khan

Banshi lal Suicide Case

बेटी की आंखों से टपके आंसू, बोली-साहब, पिता खोया है, कोई कितना भी बाहुबली हो पर इंसाफ चाहिए हमें

बूंदी. बेटा अभिषेक और बेटी सिमरन की आंखों के आंसू नहीं सूख रहे। बाप का साया आंखों से दूर नहीं हो रहा। वे बताते हैं कि तालेड़ा केपाटन चौराहे पर डेयरी लगाकर पिता बंशीलाल माली उन्हें पाल रहे थे। अचानक उनके सामने दु:खों का पहाड़ आ खड़ा हुआ। दोनों बच्चों ने कहा ‘चाहे कोई कितना भी बाहुबली हो, हमें न्याय मिलना चाहिए सा’ब… और आंखें भर आई…। वे कभी घर के भीतर बेसुध मां संजू को जाकर देखते हैं तो कभी बाहर आंगन में अपने बुजुर्ग दादा राधेश्याम को संभालते हैं।
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पिता बंशीलाल की मौत को पन्द्रह दिन हो गए, लेकिन पिता की फोटो दूर नहीं हो रही। बावजूद कहीं से कोई मदद नहीं मिल रही। पिता को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों की अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई। पुलिस इस मामले में अभी तक हाथ पर हाथ धरकर बैठी है। बुजुर्ग दादा कभी तालेड़ा थाने के तो कभी पुलिस अधीक्षक कार्यालय के चक्कर काटने को मजबूर हैं।
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बंशीलाल की मासूम बेटी सिमरन ने बताया कि पुलिस का यही रवैया रहा तो लोगों का कानून से भरोसा उठ जाएगा। पिता को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों की गिरफ्तार ही नहीं बल्कि उन्हें सख्त सजा भी मिले इससे फिर किसी बच्चे के सिर से उसके बाप का साया नहीं हटे।
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प्राप्त जानकारी के अनुसार बंशीलाल की 21 मई को कोटा के चिकित्सालय में मौत हो गई थी। उसने 19 मई को कोटा सरस डेयरी अध्यक्ष श्रीलाल गुंजल, सुपरवाइजर प्रभुलाल गोचर व आरपी गोपाल गुर्जर से तंग आकर जहर खा लिया था। बंशीलाल ने सुसाइड नोट में अपनी सारी पीड़ा भी उजागर की है। तालेड़ा थाना पुलिस ने तीनों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला भी दर्ज कर रखा है, लेकिन अब दबाव में आकर पुलिस आरोपितों को गिरफ्तार नहीं कर रही।
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पहाड़ सी जिन्दगी कैसे कटेगी

बंशीलाल की पत्नी 35 वर्षीय संजू की माने तो इस पहाड़ सी जिन्दगी को काटने के लिए अब उसके पास कोई सहारा नहीं बचा। दो बच्चों का पेट कैसे पालेंगी यह सोचकर बार-बार आंखें भर रही है। संजू का कहना है कि पुलिस उनकी मदद करती तो शायद यह नौबत नहीं आती। 18 मई को डेयरी और गांव में आकर खूब धमकाया, लेकिन पुलिस ने उनकी कोई मदद नहीं की।’मैं भी जीकर क्या करूं।
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बंशीलाल के पिता राधेश्याम सैनी बेटे की मौत के बाद कोई न्याय नहीं मिलने से टूट से गए। सोमवार को फिर से बूंदी के पुलिस अधीक्षक से गुहार लगाने पहुंचे। यहां बुजुर्ग ने बताया कि अब जीने की कोई तमन्ना नहीं बची। उससे मासूम बच्चों का दु:ख नहीं देखा जाता।
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