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राजस्थान रोडवेज के इस डिपो की बसों में नहीं करना चाहता कोई सफर

बारां रोडवेज डिपो का बेड़ा गर्क हो चुका है। आलम यह है कि कोई भी इन बसों में सफर नहीं करना चाहता।

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लाख कोशिशों के बावजूद बारां रोडवेज डिपो की बसों को यात्री नहीं मिल रहे। हालत यह हो गई है कि सवारियों के मामले में बारां रोडवेज की बसें सबसे खराब हालत में हैं। पूरे राजस्थान में 52 रोडवेज डिपो में हैं, लेकिन सितम्बर के महीने की रैकिंग में बारां डिपो सबसे निचले पायदान 52वें नम्बर पर पहुंच गया।

चालू माह में भी बारां डिपो लक्ष्य से औसतन पीछे चल रहा है। लोक परिवहन व अवैध निजी बसों से प्रतिस्पर्धा में बारां डिपो की कमर टूट रही है। अकेले कोटा रूट पर डिपो को रोजाना दो लाख का नुकसान झेलना पड़ रहा है तो आधा दर्जन करीब बसें बंद होने से रोडवेज बसों का संचालन रोजाना करीब पांच हजार किलोमीटर कम हो रहा है।

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ऐसे आए सबसे नीचे

सितम्बर माह में बारां डिपो का यात्रीभार लक्ष्य 78 प्रतिशत था, इसके विपरीत उपलब्धि 59 प्रतिशत हुई। लक्ष्य प्राप्ति के मामले में बारां डिपो प्रदेश के 52 डिपो में सबसे निचले पायदान पर रहा। चालू माह में लक्ष्य 76 प्रतिशत है, लेकिन लक्ष्य तक पहुंचना संभव नहीं लग रहा।

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कोटा रूट पर सर्वाधिक नुकसान

कोटा रूट पर सर्वाधिक नुकसान हो रहा है। इस रूट पर रोजाना दो लाख का नुकसान झेलना पड़ रहा है। पहले इस रूट पर प्रति किलोमीटर 40 से 45 रुपए आय होती थी जो घटकर अब 20-25 रुपए तक रह गई है। रोडवेज का यात्रीभार लोक परिवहन व अवैध निजी बसों की ओर मुड़ रहा है।

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निजी बसों का काफी कम है किराया

कोटा रूट पर रोडवेज की बसें करीब दस हजार किलोमीटर के फेरे लगाती है, हर दस मिनट में बस उपलब्ध है, लेकिन इसके बावजूद यात्रीभार अपेक्षा अनुरूप नहीं मिल रहा। इसका एक प्रमुख कारण यह भी है क्योंकि रोडवेज बसों में कोटा का किराया 80 रुपए है जबकि दूसरी बसों में 50 रुपए। रोडवेज डिपो, बारां के सहायक यातायात प्रबंधक जगदीश प्रसाद मीणा ने बताया कि सितम्बर माह की रैकिंग में बारां डिपो सबसे निचले पायदान पर रहा। चालू महीने में भी यात्रीभार नहीं मिलने से लक्ष्य से पीछे ही चल रहे हैं। लोक परिवहन बसें और अवैध बसों के फर्राटे भी नहीं रुक रहे।