
Bharat Jodo Yatra : इस यात्रा की जरूरत आठ दस साल पहले ज्यादा थी : जयराम रमेश
पंकज श्रीवास्तव
भारत जोड़ो यात्रा के प्रभारी और वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश का मानना है कि इस यात्रा से जो बदलाव नजर आ रहे हैं और जिस तरह का रिस्पांस पूरे भारत में नजर आ रहा है, उससे ये लगता है कि इस यात्रा की जरूरत कांग्रेस को 8 से 10 साल पहले ज्यादा थी। यात्रा से जुड़े कई प्रश्नों के जवाब उन्होंने बेबाकी से दिए। पत्रिका से विशेष बातचीत के मुख्य अंश...
क्या आपको नहीं लगता कि इस यात्रा की जरूरत काफी पहले से थी?
यात्रा के दौरान जिस तरह से लोग राहुल गांधी से जुड़ रहे हैं, उससे हम सभी अभिभूत हैं। लोगों का जिस तरह का प्यार उन्हें मिल रहा है, उससे हमें भी लगता है कि इस यात्रा की जरूरत आज से आठ से दस साल पहले थी। कांग्रेस के उस दौर के संघर्ष को देखते हुए भी और राहुल गांधी को व्यक्तिगत रूप से भी इस यात्रा की जरूरत तब ज्यादा थी, लेकिन यह समय भी बुरा नहीं।
यात्रा से पहले और बाद के राहुल में क्या बदलाव देखते हैं?
एक लंबी यात्रा आपके व्यक्तित्व पर खासा असर करती है और वो भी इस तरह की यात्रा हो तो और ज्यादा असर करती है। लोगों की सोच बदली है। साथ ही, राहुल गांधी अब पहले से भी ज्यादा सहनशील हो गए हैं। इतनी भीड़ का सामना जिस प्रेम के साथ कर रहे हैं, वो उनके अंदर आए बदलावों को स्पष्ट बतलाता है। वे अब पहले से ज्यादा ध्यान से लोगों को सुनने लगे हैं।
यात्रा के दौरान किस तरह की समस्याएं ज्यादा आ रही हैं?
किसानों और महिलाओं से लेकर बच्चों तक के अनेक मुद्दे आए हैं, लेकिन जिस तरह से विकलांग अपनी व्यथा लेकर आ रहे हैं और जितनी संख्या में आ रहे हैं। उससे लगता है एक बड़े सर्वे की जरूरत है। शायद हमें ये भी सही जानकारी नहीं कि देश में कितने विकलांग हैं। विकलांगों के लिए कुछ बेहतर योजनाएं बनाए जाने की जरूरत है।
कोई विषय जो आपको झकझोरता है?
लोग कर्जदार हो रहे हैं। पहले खेती या व्यवसाय के लिए कर्जा लेते थे, लेकिन अब लगता है कि पढ़ाई और स्वास्थ्य के खातिर लोग कर्जदार हो रहे हैं, जो चिंतनीय है। ऐसी स्थिति से कम से कम उस तबके को बचाना जरूरी है, जिसके पास आय के साधन न के बराबर हैं। इस विषय पर राहुल जी ने भी गंभीरता दिखाई है।
यात्रा अगले माह कश्मीर पहुंच जाएगी। उसके बाद क्या?
विचार तो पश्चिम से पूर्व की ओर भी ऐसी ही यात्रा का है, लेकिन अभी सिर्फ विचार है। यात्रा पूरी होने के बाद कर्नाटक एवं उसके बाद मप्र, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव हैं। लिहाजा उन पर भी ध्यान रहेगा। फिलहाल तो इस यात्रा पर पूरा फोकस है।
मप्र और राजस्थान में यात्रा का फायदा अगले चुनाव में नजर आएगा?
ये प्रदेश संगठनों को तय करना है कि वे किस तरह यात्रा से जनता के बीच में माहौल बनाते हैं। जहां तक राजस्थान की बात है तो यहां जो चिरंजीवी योजना और रोजगार गारंटी योजना व अन्य जनहित के कदम उठाए हैं। सरकार और जनता के बीच अच्छा रिस्पांस दिख रहा है। तो उम्मीद तो पूरी है।
कर्नाटक में पत्रिका देख खुशी हुई
जयराम रमेश ने खास जिक्र किया कर्नाटक का। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में हमें हिन्दी अखबार की उम्मीद नहीं थी। पर जब वहां राजस्थान पत्रिका मिला और उसमें यात्रा का कवरेज देखा तो बेहद खुशी हुई। पत्रिका निष्पक्षता से अपनी बात रखता है। कर्नाटक जैसे राज्य में हिन्दी के अखबार की लोकप्रियता भी चौंकाने वाली थी।
Published on:
11 Dec 2022 07:54 pm
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