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यहां हाथ में जूते-चप्पल लेकर स्कूल की ओर बढ़ते हैं शिक्षक

कोटा जिले के इटावा क्षेत्र की ग्राम पंचायत गैंता के कीरपुरा गांव में हाल चित्र में सदृश्य हैं। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कीरपुरा तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है।

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करीरपुरा में कीचड़ भरे रास्ते से हाथों में जूते-चप्पल लेकर विद्यालय आते शिक्षक।

कोटा.

एक ओर तो केन्द्र और राज्य में सत्तारूढ़ सरकारें शिक्षा के सुदृढ़ीकरण, नामांकन वृद्धि, गुणवत्ता सुधार और भवनों निर्माण के लिए नाना प्रकार की योजनाएं ला रही हैं, करोड़ों रुपए खर्च करके अभिभावकों को लुभाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर जमीनी तस्वीरें ऐसी हैं कि रूह कांप जाए। कोटा ही क्यों, राजस्थान प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा जिला हो जहां ऐसे हालात नहीं। कोटा जिले के इटावा क्षेत्र की ग्राम पंचायत गैंता के कीरपुरा गांव में हाल चित्र में सदृश्य हैं। राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय कीरपुरा तक पहुंचने के लिए सड़क ही नहीं है। इससे विद्यालय के छात्र-छात्राओं, अध्यापक एवं अध्यापिकाओं को कीचड़ भरे रास्ते से गुजरना पड़ता है। विद्यालय में पोषाहार सामग्री, सिलेंडर,फल एवं सबजी, दूध आदि गैंता गांव से ले जाने के लिये कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। हालत ऐसी कि छात्र-छात्राएं विद्यालय जाते समय कीचड़ में फिसल जाते हैं। इन दिनों तो बरसात के चलते कई छात्र चोटग्रस्त भी हो रहे हैं।
और, प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा देखिये कि जिन हाथों में सरस्वती के प्रतीक पुस्तक और कलम होनी चाहिए, उनमें जूते चप्पल होते हैं। स्कूल में शिक्षक-शिक्षिकाओं का आगमन बरसात में ऐसे ही होता है। पूरी राह कीचड़ में सनी होने से वे पैदल हाथ में जूते-चप्पल लेकर आते हैं।
प्रशासन को बता दिया है
प्रधानाध्यापक परमानंद मीणा ने पत्रिकाडॉटकॉम को बताया कि छात्र-छात्राओं को कीचड़ के रास्ते से विद्यालय आने जाने में परेशानी आ रही है। इस संबंध में प्रशासन के अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है। मगर अभी तक भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है।
गेंता से गांव तक कच्ची सड़क
जानकारी के अनुसार कीरपुरा गांव गेंता से लगभग ढाई किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पर गेंता माखीदा पुलिया के नीचे से गांव तक कच्ची सड़क बनी हुई है। वर्षा होने के बाद सड़क पर कीचड़ हो जाता है। गांव के लोगों को करीब ढाई किलोमीटर कीचड ़भरी सड़क से गुजरना पड़ता है। गांव में आटा चक्की भी नहीं है। लोग गेंता से आटा पिसवाकर लाते हैं तब भी उनको दिक्कत होती है। गांव में अगर कोई बीमार पड़ जाए तो उसको गेंता गांव तक लाने में बड़ी मशक्कत उठानी पड़ती है।