चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि हम बड़ी यानी विश्वव्यापी कोरोना माहमारी के संक्रमण से लड़ रहे थे, इसलिए छोटी बीमारियों से लडऩे में हमारे शरीर की ताकत बढ़ गई। यही वजह रही कि श्वास जनित स्वाइन फ्लू जैसी संक्रामक कई बीमारियों पर ब्रेक ही लग गया।
ऐसे कमजोर हो गया स्वाइन फ्लू – लगभग ढाई माह तक लॉकडाउन के दौरान लोग घरों में रहे, इससे हर्ड इम्यूनिटी बढ़ गई।
– कोरोना काल में लोगों ने मास्क, सेनेटाइजर आदि का प्रयोग किया और दो गज की दूरी की पालना की।
– संक्रमण बचाव के लिए लोगों ने खान-पान पर विशेष ध्यान दिया। दैनिक क्रियाकलाप में योग-व्यायाम, आयुर्वेद व अन्य नुस्खे अपनाकर इम्यूनिटी बढ़ाने पर जोर रखा। स्वाइन फ्लू : राजस्थान में गत वर्षों की स्थिति
वर्ष-कुल पॉजीटिव मरीज-कुल मौतें
वर्ष-कुल पॉजीटिव मरीज-कुल मौतें
2018-2375-221
2019-5092-208 2020-116-1
2021 -0- 0 (12 फरवरी तक) प्रमुख मेडिकल कॉलेज में मामले मेडिकल कॉलेज कुल पॉजीटिव मरीज/कुल मौतें
शहर– 2019– 2020 –2021 जयपुर 2225/9 –40/0 –0/0
कोटा 275/16 –2/0 –0/0
2019-5092-208 2020-116-1
2021 -0- 0 (12 फरवरी तक) प्रमुख मेडिकल कॉलेज में मामले मेडिकल कॉलेज कुल पॉजीटिव मरीज/कुल मौतें
शहर– 2019– 2020 –2021 जयपुर 2225/9 –40/0 –0/0
कोटा 275/16 –2/0 –0/0
अजमेर 93/2– 10/0 –0/0
जोधपुर 812/71– 5/0 –0/0 भरतपुर 46/5 –1/0– 0/0
बीकानेर 172/30 –3/0– 0/0 उदयपुर 21/0– 2/0 –0/0 एक्सपर्ट व्यू : स्वाइन फ्लू की हर्ड इम्युनिटी बनी
कोरोना की संक्रामक क्षमता स्वाइन फ्लू से 3 से 4 गुना ज्यादा होती है। स्वाइन फ्लू की संक्रामक क्षमता कम थी। स्वाइन फ्लू की मारक क्षमता ज्यादा है, जबकि कोरोना की कम। कोरोना 7 से 8 दिन का समय देता है, जबकि स्वाइन फ्लू 3 से 4 दिन का समय देता था। कोरोना बुजुर्गों में ज्यादा हुआ है, जबकि स्वाइन फ्लू ने युवाओं व गर्भवती पर असर किया। चूंकि स्वाइन फ्लू 10 साल पुराना वायरस होने के कारण हर्ड इम्युनिटी बन गई और ज्यादा से ज्यादा लोगों ने इस साल मास्क का इस्तेमाल किया। घरों में ही रहे। इस वजह से स्वाइन फ्लू नहीं हुआ।
जोधपुर 812/71– 5/0 –0/0 भरतपुर 46/5 –1/0– 0/0
बीकानेर 172/30 –3/0– 0/0 उदयपुर 21/0– 2/0 –0/0 एक्सपर्ट व्यू : स्वाइन फ्लू की हर्ड इम्युनिटी बनी
कोरोना की संक्रामक क्षमता स्वाइन फ्लू से 3 से 4 गुना ज्यादा होती है। स्वाइन फ्लू की संक्रामक क्षमता कम थी। स्वाइन फ्लू की मारक क्षमता ज्यादा है, जबकि कोरोना की कम। कोरोना 7 से 8 दिन का समय देता है, जबकि स्वाइन फ्लू 3 से 4 दिन का समय देता था। कोरोना बुजुर्गों में ज्यादा हुआ है, जबकि स्वाइन फ्लू ने युवाओं व गर्भवती पर असर किया। चूंकि स्वाइन फ्लू 10 साल पुराना वायरस होने के कारण हर्ड इम्युनिटी बन गई और ज्यादा से ज्यादा लोगों ने इस साल मास्क का इस्तेमाल किया। घरों में ही रहे। इस वजह से स्वाइन फ्लू नहीं हुआ।
– डॉ. के.के. डंग, श्वास रोग विशेषज्ञ, कोटा