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बड़ी राहत : मौतों पर लगा ब्रेक, कोरोनाकाल में कंट्रोल हुआ स्वाइन फ्लू

locationकोटाPublished: Feb 23, 2021 11:14:13 pm

Submitted by:

Kanaram Mundiyar

– प्रदेश में वर्ष 2018 व 2019 में बरपा था स्वाइन फ्लू का कहर
– वर्ष 2020 में गिने-चुने मरीज आए, मौतों पर लगा ब्रेक

के.आर. मुण्डियार

कोटा.

कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए जरूरी उपाय जैसे मास्क लगाना, सेनेटाइजर का उपयोग और सोशल डिस्टेंसिंग ने प्रदेश में स्वाइन फ्लू जैसी संक्रामक बीमारी को भी कंट्रोल कर दिया। राजस्थान में वर्ष 2019 एवं इससे पहले के वर्षों में स्वाइन फ्लू का कहर बरपा था। हजारों लोग संक्रमित हुए थे और सैकड़ों की जान चली गई थी, लेकिन वर्ष 2020 यानी कोरोना काल के बीते साल में संक्रमण की चेन तोडऩे की खातिर लॉकडाउन एवं उसके बाद जारी गाइड लाइन की पालना में सरकार से लेकर जनता तक पूरी तरह सतर्क रही। यही वजह रही कि बीते साल में प्रदेश में स्वाइन फ्लू पैर पसार ही नहीं पाया। वर्ष 2020 में राजस्थान में 116 पॉजीटिव मरीजों में से केवल एक मरीज की मौत की पुष्टि स्वाइन फ्लू से हुई, जबकि वर्ष 2019 में 208 एवं 2018 में 221 मरीजों की मौत स्वाइन फ्लू से हो गई थी।
चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि हम बड़ी यानी विश्वव्यापी कोरोना माहमारी के संक्रमण से लड़ रहे थे, इसलिए छोटी बीमारियों से लडऩे में हमारे शरीर की ताकत बढ़ गई। यही वजह रही कि श्वास जनित स्वाइन फ्लू जैसी संक्रामक कई बीमारियों पर ब्रेक ही लग गया।

ऐसे कमजोर हो गया स्वाइन फ्लू

– लगभग ढाई माह तक लॉकडाउन के दौरान लोग घरों में रहे, इससे हर्ड इम्यूनिटी बढ़ गई।
– कोरोना काल में लोगों ने मास्क, सेनेटाइजर आदि का प्रयोग किया और दो गज की दूरी की पालना की।
– संक्रमण बचाव के लिए लोगों ने खान-पान पर विशेष ध्यान दिया। दैनिक क्रियाकलाप में योग-व्यायाम, आयुर्वेद व अन्य नुस्खे अपनाकर इम्यूनिटी बढ़ाने पर जोर रखा।

स्वाइन फ्लू : राजस्थान में गत वर्षों की स्थिति
वर्ष-कुल पॉजीटिव मरीज-कुल मौतें
2018-2375-221
2019-5092-208

2020-116-1
2021 -0- 0 (12 फरवरी तक)

प्रमुख मेडिकल कॉलेज में मामले

मेडिकल कॉलेज

कुल पॉजीटिव मरीज/कुल मौतें
शहर– 2019– 2020 –2021

जयपुर 2225/9 –40/0 –0/0
कोटा 275/16 –2/0 –0/0
अजमेर 93/2– 10/0 –0/0
जोधपुर 812/71– 5/0 –0/0

भरतपुर 46/5 –1/0– 0/0
बीकानेर 172/30 –3/0– 0/0

उदयपुर 21/0– 2/0 –0/0

एक्सपर्ट व्यू : स्वाइन फ्लू की हर्ड इम्युनिटी बनी
कोरोना की संक्रामक क्षमता स्वाइन फ्लू से 3 से 4 गुना ज्यादा होती है। स्वाइन फ्लू की संक्रामक क्षमता कम थी। स्वाइन फ्लू की मारक क्षमता ज्यादा है, जबकि कोरोना की कम। कोरोना 7 से 8 दिन का समय देता है, जबकि स्वाइन फ्लू 3 से 4 दिन का समय देता था। कोरोना बुजुर्गों में ज्यादा हुआ है, जबकि स्वाइन फ्लू ने युवाओं व गर्भवती पर असर किया। चूंकि स्वाइन फ्लू 10 साल पुराना वायरस होने के कारण हर्ड इम्युनिटी बन गई और ज्यादा से ज्यादा लोगों ने इस साल मास्क का इस्तेमाल किया। घरों में ही रहे। इस वजह से स्वाइन फ्लू नहीं हुआ।
– डॉ. के.के. डंग, श्वास रोग विशेषज्ञ, कोटा

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