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कोटा .
नगर निगम प्रशासन की उदासीनता के कारण अभी तक शहर में सफाई कर्मचारियों की बायोमैट्रिक मशीनों से उपस्थिति दर्ज करने की व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है। इसका ठेकेदार बेजा फायदा उठा रहे हैं। इसका सीधा असर शहर की सफाई व्यवस्था पर भी पड़ रहा है। बायो मैट्रिक उपस्थिति के आयुक्त के आदेशों की भी धज्जियां उड़ रही है।
राज्य सरकार ने सफाई कर्मचारियों की उपस्थिति बायोमैट्रिक मशीनों से दर्ज करने की व्यवस्था अनिवार्य की थी। इसके तहत ही निगम प्रशासन ने करीब चार माह पहले सफाई टेण्डर में भी यह शर्त अनिवार्य रूप से लगाई थी, लेकिन अभी तक ज्यादातर वार्डों में यह व्यवस्था लागू नहीं हो पाई है।
अभी केवल सेक्टर कार्यालयों में बायोमैट्रिक उपस्थिति के लिए मशीनें लगाने और डाटा फिडिंग का काम चल रहा है। गौरतलब है कि पिछले दिनों निर्दलीय पार्षद मोहम्मद हुसैन ने तो महापौर और आयुक्त को ज्ञापन देकर ठेकेदारों के दबाव में बायोमैट्रिक मशीनों से हाजिरी नहीं करने का आरोप लगाया था। पार्षद पवन अग्रवाल, अनिल सुवालका, नरेन्द्र हाड़ा, विनोद नायक ने कहा कि उनके सेक्टर कार्यालयों में बायोमैट्रिक मशीन तो लग गई है, लेकिन अभी तक चालू नहीं हुई है।
आधे कर्मचारी गायब मिले थे
पिछले दिनों आयुक्त और दो उपायुक्तों ने शहर के सभी सेक्टरों में सफाई कर्मचारियों की उपस्थिति की जांच की थी। कुछेक वार्डों में तो आधे से ज्यादा कर्मचारी गायब मिले थे। सेक्टर कार्यालयों में रजिस्ट्ररों में पूरे कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज कर रखी थी। इस तरह ठेकेदार पूरी हाजिरी लगाकर निगम से भुगतान उठा लेते हैं।
पिछड़ जाएंगे रैंकिंग में
केन्द्रीय शहरी विकास मंत्रालय की ओर से जनवरी में होने वाले राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में सफाई कर्मचारियों की हाजिरी बायोमैट्रिक मशीनों से दर्ज करने की व्यवस्था के अंक निर्धारित किए है। पूर्व के सर्वे में यह व्यवस्था लागू नहीं होने के कारण शून्य अंक मिला था। अब भी यह व्यवस्था लागू नहीं की गई तो पिछड़ सकते हैं।
Updated on:
21 Nov 2017 09:48 pm
Published on:
21 Nov 2017 09:46 pm
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