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नही दी जाएगी तारीख पर तारीख, पेपरलेस जजमेंट से मिनटों में सुलझेगा विवाद

मारपीट, छेड़छाड़, कार्य स्थल पर शोषण, घरेलू हिंसा और किसी अन्य उत्पीडऩ मामले में शिकार हुई महिलाआें को अब न्याय पाने के लिए महिला आयोग से तारीख पर तारीख नहीं मिलेगी, बल्कि कुछ मिनटों में ही उन्हें न्याय मिल सकेगा।

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कोटा

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raghuveer singh

Feb 03, 2016

मारपीट, छेड़छाड़, कार्य स्थल पर शोषण, घरेलू हिंसा और किसी अन्य उत्पीडऩ मामले में शिकार हुई महिलाआें को अब न्याय पाने के लिए महिला आयोग से तारीख पर तारीख नहीं मिलेगी, बल्कि कुछ मिनटों में ही उन्हें न्याय मिल सकेगा।

आयोग ने एक नई पहल करते हुए टेबल पर हाथों-हाथ पीडि़ताओं की सुनवाई शुरू कर दी है। किसी भी पीडि़ता को सुनवाई के लिए तारीख के इंतजार में नहीं बैठना पड़ेगा, बल्कि उसे सिर्फ हां और ना में ही जवाब देना होगा।

इस आधार पर ही आयोग उसकी शिकायत पर सुनवाई करेगा। गंभीर मामलों को एक माह के भीतर निपटाने का प्रयास किया जाएगा।

शिकायत सुनकर किया समाधान

पिछले तीन माह के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 2000 शिकायतें आयोग के पास पहुंची हैं। इनमें से 60 मामलों का निस्तारण किया जा चुका है, जबकि 8 मामले महज 30 से 40 मिनट में सुलझाए गए हैं।

यह पहला अवसर है जब आयोग ने पीडि़ता का आवेदन पड़ा और उसे हाथों-हाथ न्याय दिया है। इसमें पुलिस, वकील, समाज सेवी और रिश्तेदारों के बगैर ही दोनों पक्षों के बीच राजी खुशी समझौता हुआ है।

आयोग ने इसे 'पेपरलेस जजमेंटÓ नाम दिया है। आयोग का मानना है कि वास्तविकता में पेपरलेस सिस्टम में कागजी व कानूनी कार्रवाई में पीडि़ताओं को खटकना नहीं पड़ रहा है, बल्कि शिकायत सुनकर ही समाधान मिल रहा है।

पेपरलेस जजमेंट के लिए काउंसलिंग प्रक्रिया को मजबूत किया गया है। एेसा होने से न सिर्फ शिकायतों की सं या कम होगी, बल्कि छोटी-छोटी बातों की वजह से घर और रिश्ते नहीं टूटेंगे। अभी तक छोटे से मामलों की सुनवाई के लिए भी पीडि़ताओं को तारीख पर तारीख दे दी जाती थी। अब एेसे मामलों को समझाइश से ही सुलझाया जा रहा है।
सुमन शर्मा, अध्यक्ष, महिला आयोग