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स्वच्छता सर्वेक्षण क्या खत्म हुआ, नगर निगम का सफाई ड्रामा भी खत्म हो गया, झोंके संसाधन वापस छीनना शुरू

कोटा. राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण की दौड़ में आगे आने के लिए सफाई में संसाधन झोंकने का नगर निगम की ओर से किया गया ड्रामा अब खत्म हो गया है।

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कोटा

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abhishek jain

Mar 09, 2018

नगर निगम

कोटा.

राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण की दौड़ में आगे आने के लिए सफाई में संसाधन झोंकने का नगर निगम की ओर से किया गया ड्रामा अब खत्म हो गया है। स्वच्छता सर्वेक्षण टीम के लौटते ही निगम प्रशासन ने अब वार्डों से पूर्व में झोंके संसाधन छीनना शुरू कर दिया है। केशवपुरा में दुकानों से डस्टबिन उठवाने के बाद अब निगम प्रशासन ने वार्डों में लगाए गए करीब 50 टिपर वापस मंगाकर गैराज में खड़े करा दिए। निगम का तर्क है कि वार्डों में टिपर का समानीकरण किया गया है। हालांकि पार्षदों ने निगम के ताजा कदम का विरोध भी शुरू कर दिया है। पार्षदों का कहना है कि ऐसे में घर-घर कचरा संग्रहण योजना कैसे फलीभूत होगी।

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ऐसे हुई टांग खिंचाई
पिछले दिनों नगर निगम प्रशासन की ओर से शहर के सभी 65 वार्डों में चरणबद्ध तरीके से टिपरों के माध्यम से घर-घर कचरा संग्रहण की सेवा शुरू की थी। इसमें सभी वार्डों में ठेका फर्मों के माध्यम से तीन-तीन टिपर लगाए गए थे। प्रभावशाली पार्षदों ने अपने-अपने वार्डों में अधिकारियों से मिलकर अतिरिक्त टिपर भी लगवा दिए। इस कारण कई वार्डों में पांच से सात टिपर हो गए। जिन पार्षदों के वार्ड में तीन टिपर ही लगे हुए हैं, उन्होंने महापौर और आयुक्त को शिकायत की। उन्होंने मांग की थी कि या तो उनके वार्डों में भी टिपरों की संख्या बढ़ाई जाए या सभी वार्डोंं में तीन-तीन टिपर लगा दिए जाएं।

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दो दर्जन वार्डों से हटाए
महापौर महेश विजय का कहना है किशिकायत के बाद आयुक्त ने गैराज के अधिशासी अभियंता से वार्ड वार टिपर की संख्या की जांच करवाई। इसमें पाया कि करीब दो दर्जन वार्डों में तीन से ज्यादा टिपर लगे हुए हैं। ऐसे 50 टिपर पाए गए। ये टिपर नगर निगम के थे। आयुक्त के निर्देश पर इन टिपर वार्डों से मंगवाकर गैराज में खड़े कर दिए हैं। ये सारे टिपर केन्द्रीय स्वच्छता टीम के आने से पहले लगाए गए थे।

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महापौर महेश विजय का कहना है कि प्रत्येक वार्ड में तीन-तीन टिपर ही लगाए जाने थे। कुछ वार्डों में निर्धारित से अधिक टिपर लगाने की शिकायत मिली थी। इसके बाद जिन वार्डों में तीन से ज्यादा टिपर थे, उन्हें वापस मंगवा लिया गया है। सभी 65 वार्डों में टिपर का समानीकरण किया गया है।