लेकिन गोला… चोर इतना सारा सोना कुतर गए। अपन को जानकारी दिए बिना ही अपराध कर गए। यार… ऐसे तो अपनी ‘इनकम’ घट जाएगी। पब्लिक के बीच तो अपनी नाक ही कट जाएगी। अरे भोला… तू कब समझेगा… हवा किधर भी बहे सांस तो जनता की ही घुटनी है। तलाश किसी की भी हो, ‘लाश’ तो कानून की ही उठनी है, क्योंकि बेचारे कानून के हाथ तो लंबे हैं… लेकिन टांगे छोटी-छोटी हैं। टाइट बेल्ट के नीचे ढीली लंगोटी है। बेशर्मी के छेदों पर है बहाने के टांके। ताकि अंदर की असलियत बाहर न झांके। ऊपर से 54 इंची कमर पर 55 इंची तोंद तो अपनी मुस्तैदी का जीता जागता स्मारक है, लेकिन तू किसी को बताना मत… ‘थाना’ आजकल आम आदमी की सेहत के लिए हानिकारक है।
साहब ने सबको हिदायत देकर कहा है…. कोई चिल्लाए तो चिल्लाने दो। जनता भाड़ में जाए जाने दो। अपन तो घूमो.. फिरो.. खाओ..पियो…ऐश करो। बस अपराधी को पकड़ कर मत पेश करो। वरना इस ‘ऑफिशियल पिकनिक’ से हाथ धो बैठोगे और पछताओगे। फिर टाइमपास करने के नए नए बहाने कहां से लाओगे?
लेकिन गोला… अपनी आंखों पर तो पट्टी बंधी है.. फिर अपन अपराधियों को कैसे ताड़ेंगे? जो गए थे उनसे ही कुछ नहीं हुआ…तो अपन कौन से नया झंडा गाड़ेंगे? अरे भोला… तू डरता क्यों है.?.. भेष बदलने में अपन क्या किसी से कम हैं। ऐसा भेष बदलेंगे कि वो खुद कंफ्यूज हो जाएंगे… बदमाश वो है या हम हैं। फिर भी अपराधी नही मिलें तो हिम्मत नहीं हारेंगे। और जनता के बीच जाकर बिहारी भाषा में शेखी बघारेंगे.. अपनी बहादुरी के किस्से सुनाएंगे… और शान से दोहराएंगे… कि हम अपराधियों को नहीं छोड़ेंगे, बिल्कुल नहीं छोड़ेंगे, पक्का नहीं छोड़ेंगे…. हां.. पहले पकड़े तो सही।