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दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट ने कोटा में मचाई थी तबाही

कोटा. कोरोना की दूसरी लहर में कोटा में डेल्टा वेरिएंट की धमाकेदार एंट्री हुई है। इसी वेरिएंट ने तबाही मचाई थी। कोटा मेडिकल कॉलेज ने जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए 30 सेम्पल जांच के लिए दिल्ली आईजीआईबी सेंटर में भेजे गए थे। जिसमें से 25 सेम्पलों में कोरोना डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि हुई है। कोटा में अप्रेल व मई में 70 फीसदी लोग इसी वायरस से संक्रमित हुए थे।

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कोटा

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Deepak Sharma

Jul 05, 2021

दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट ने कोटा में मचाई थी तबाही

दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट ने कोटा में मचाई थी तबाहीकोटा में 30 सेम्पल में से 25 में कोरोना डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि

कोटा. कोरोना की दूसरी लहर में कोटा में डेल्टा वेरिएंट की धमाकेदार एंट्री हुई है। इसी वेरिएंट ने तबाही मचाई थी। कोटा मेडिकल कॉलेज ने जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए 30 सेम्पल जांच के लिए दिल्ली आईजीआईबी सेंटर में भेजे गए थे। जिसमें से 25 सेम्पलों में कोरोना डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि हुई है। कोटा में अप्रेल व मई में 70 फीसदी लोग इसी वायरस से संक्रमित हुए थे। कोटा मेडिकल कॉलेज प्रशासन को रविवार को इसकी रिपोर्ट मिली है। इसके बाद प्रशासन हरकत में आ गया है।
कोटा मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना ने बताया कि जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए कोटा से 30 सेम्पल जांच के लिए भिजवाए गए थे। इनमें 25 सेम्पल में डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि हुई है। इसकी रिपोर्ट मिली है। इनमें से 5 सेम्पल पहली लहर के वेरिएंट मिले है। माइक्रोबायलॉजी विभागाध्यक्ष नवीन सक्सेना ने बताया कि मई व जून के 30 सेम्पल दिल्ली स्थित आईजीआईबी सेंटर भिजवाए गए थे। यह राजस्थान के जिनोम सिक्वेंसिंग के लिए अधिकृत है। वहां से 25 सेम्पल में डेल्टा वेरिएंट की पुष्टि हुई है।

डॉ. सक्सेना ने बताया कि सभी मरीजों का डेटा अस्पताल में उपलब्ध है। सभी मरीजों की हिस्ट्री को तलाशा जाएगा व एक-एक मरीज से सम्पर्क कर उसकी टे्रवल हिस्टी के साथ सम्पर्क में आने वालों की जांच की जाएगी। इन 25 मरीजों में कितने ठीक हुए और क्या परेशानी रही, क्या टीट्रमेंट दिया गया? सहित कई पहलुओं पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

अप्रेल व मई था सबसे भारी
कोरोना काल में अप्रेल व मई सबसे भारी था। अप्रेल में 20 हजार 257 मरीज पॉजिटिव मिले थे। सरकारी रिपोर्ट में 111 मरीजों की मौत हुई थी। जबकि कोविड अस्पताल में 200 मौतें हुई थी। संक्रमण की दर 19.9 प्रतिशत थी। इन दो माह में 70 फीसदी लोग संक्रमित हुए थे। उस समय शहर के सभी अस्पताल मरीजों से हाउसफुल हो गए थे। किसी भी अस्पताल में ऑक्सीजन बेड खाली नहीं था। पहली बार मेडिकल कॉलेज प्रशासन को मरीजों के लिए अस्पताल के द्वार बंद करने पड़े थे। निजी अस्पतालों में भी मरीजों के लिए जगह नहीं बची थी। कई मरीजों ने घरों पर ही रहकर उपचार करवाना पड़ा था। चिकित्सा व्यवस्था फर्श पर आ गई थी। सबसे बड़ी संख्या ऑक्सीजन की कमी सामने आई थी। रेमडेसिविर इंजेक्शन खत्म हो चुके थे। जांचों का काम भी फेल हो गया था।

मेडिकल कॉलेज से रिकॉर्ड एकत्रित कर सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा और रिपोर्ट तैयार की जाएगी। एक बार रिपोर्ट की स्टडी करने के बाद ही आगे की रूपरेखा तय की जाएगी।
डॉ. भूपेन्द्र सिंह तंवर, सीएमएचओ, कोटा

एक्सपर्ट व्यू: यह वेरिएंट अधिक संक्रामक
डेल्टा वेरिएंट के विरुद्ध वैक्सीन के संबंध में पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं है। यूरोप में डेल्टा वेरिएंट के कारण अस्पताल में भर्ती की दर में अप्रत्याशित वृद्धि पाई गई। यह वेरिएंट अधिक संक्रामक है। यह महामारी की नई तीसरी लहर को जन्म दे सकता है। इसके लक्षण पूर्ववर्ती स्ट्रेन से भिन्न है। जिसमें जुकाम व नाक का बहना नहीं पाया जाता। सूंघने की क्षमता खोना नहीं पाया जाता है। ऐसे में इसकी पहचान मुश्किल होगी। इसी सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है। सरकार के स्तर पर अधिक से अधिक जिनोम सिक्वेसिंग करें। इससे ज्यादा से ज्यादा वेरिएंट की पहचान की जा सके। मरीज को आइसोलेट व ट्रेक करना गंभीरता से लागू की जाए।
- डॉ. मनोज सलूजा, आचार्य, मेडिसिन विभाग, कोटा मेडिकल कॉलेज कोटा