
कोरोना कहर: भूख और डर के बीच दो रोटी के सहारे युवक ने तय किया 80 किमी का सफार, पढि़ए खौफनाक वो डेढ़ दिन
रामगंजमंडी. चिकित्सा विभाग संदिग्ध रोगी मानकर किसी व्यक्ति की जांच कराने एंम्बुलेंस से कोटा पहुंचाता है तो जांच में नेगेटिव आने पर उसे घर छोडऩे का दायित्व नहीं उठाता। लॉकडाउन में परिवहन सेवा बंद होने से विभाग का यह दायित्व ज्यादा बढ़ जाता है, लेकिन चिकित्सा विभाग की तरफ से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं होने से नेगेटिव जांच आने पर ऐसे लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। कुछ ऐसा ही रामगंजमंडी की गरीब नवाज कॉलोनी निवासी ट्रक चालक सलीम के साथ हुआ। 12 घंटे की अवधि में वह कोटा से अस्सी किलोमीटर का सफर तय कर यहां अपने घर पहुंचा। सलीम लॉकडाउन के समय मुंबई था।
वहां से ट्रक लेकर वह रामगंजमंडी आया तो चिकित्सा विभाग की टीम उसे जांच के लिए 7 अप्रेल की सुबह रामगंजमंडी चिकित्सालय लेकर पहुंची। मुंबई से आते समय चिकित्सकों द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट उसने दिखाई। चिकित्सकों ने संदिग्ध मानते हुए दो अन्य के साथ उसे एंम्बुलैंस से कोटा भेज दिया।
हमारा काम घर पहुंचाना नहीं
सलीम ने बताया कि जांच के बाद कोरोना के लक्षण नहीं पाए जाने पर चिकित्सक ने उसे घर जाने को कहा। सलीम ने चिकित्सक को अपनी विवशता बताई तो 108 एंम्बुलैंस पर फोन करने को कहा। 108 एंम्बुलैंस वाले बोले हमारा काम चिकित्सालय लाने का है घर छोडऩे का नहीं। 100 नंबर पर फोन करने पर किसी गाड़ी के आने पर उसे छोडऩे व भोजन के पैकिट पहुंचाने का आश्वासन मिला।
रात डेढ़ बजे मिला भोजन
मेडिकल कालेज में लगे पुलिसकर्मियों के लिए भोजन के पैकिट आए तो पुलिसकर्मियों ने उसे मंगलवार रात डेढ़ बजे एक पैकिट सौंपा। उसने मेडिकल कालेज के बाहर रात बिताई। बुधवार सुबह क्रेशर रोड से पदयात्रा करते हुए अनंतपुरा पहुंचा। एक जने ने उसे दो रोटी दी। वह पैदल निकला तो एक बाइक सवार ने उसे दरा तक दूसरे ने अमझार व तीसरे ने गिड़गिड़ाने व जांच रिपोर्ट तथा ड्राइविंग लाइसेंस दिखाने पर ढाबादेह तक छोड़ा।
क्या कहते हैं अधिकारी
ब्लाक चिकित्साधिकारी रईस खान ने माना कि संदिग्धों की जांच नैगेटिव आने पर उन्हें वापस रामगंजमंडी छोडऩे की कोई व्यवस्था नहीं है। उप जिला कलक्टर के साथ गुरुवार हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि कोटा भेजे जाने वाले रोगी को वापस लाने के लिए वाहन का प्रबंध रखा जाएगा।
साधन नहीं, पैदल आया
ढाबादेह में हिरियाखेड़ी चौराहे से निमाणा होते हुए करीब 13 किलोमीटर का सफर तय कर वह पैदल बुधवार शाम साढ़े पांच बजे घर पहुंचा। सलीम ने मंगलवार शाम से बुधवार शाम के 24 घंटे की आपबीती सुनाई तो कई बार गला भर आया। सलीम का कहना था कि जब चिकित्सा विभाग जांच के लिए ले जाता है तो उसे वापस भी छोड़े।
Published on:
11 Apr 2020 02:48 am
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