7 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

16 गोलियां लगने, 2 दर्जन से ज्यादा ऑपरेशन होने और 40 दिन कोमा में रहने के बाद ऐसे दहाड़ा चीता

आतंकी सरगना लखवी के दहशतगर्द भांजे को मौत की नींद सुलाने वाले चीता ने 16 गोलियां लगने के बाद भी बांदीपोर एनकाउंटर में मारे थे दो आतंकवादी।

2 min read
Google source verification
CRPF Commandant Cheeta, CRPF Commandant, Chetan Kumar Cheetah, CRPF, Bandipora Encounter, CRPF commandant Chetan Cheeta, Chetan Cheeta will come to Kota, Rajasthan Patrika Kota, Kota Rajasthan Patrika, PM Modi, Ashok Chakra

CRPF Commandant Chetan Cheetah found control over death

पूरा जिस्म छलनी हो चुका था... ग्रेनेड के धमाके में दोनों हाथ की हड्डियां भी टूट गई... दहशतगर्दों की गोलियों ने दाई आंख भी फोड़ दी... फिर भी चीते की दहाड़ कम न हुई। बंदूक उठाई और एक ही गोली में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी कमांडर अबू हारिश को ढेर कर दिया। गोलीबारी थमी तो पता चला कि कोटा का यह जांबाज चेतन कुमार चीता मौत से जूझ रहा है। उसे एयर एम्बुलेंस से दिल्ली स्थित एम्स के ट्रोमा सेंटर में लाया गया। उन्हें 16 गोलियां लगी थीं। दो दर्जन से ज्यादा ऑपरेशन और 40 दिन कोमा में रहने के बाद चीता फिर दहाड़ उठा। पढ़िए #CRPF_Commandant_Chetan_Cheeta के संघर्ष की पूरी कहानी...

सीआरपीएफ की 92 वीं बटालियन के कमांडेंट चेतन कुमार चीता 14 फरवरी की सुबह बांदीपोर जिले में आतंकियों के छिपे होने की जानकारी मिली। जिस पर वे 13 राष्ट्रीय रायफल और जम्मू कश्मीर पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के साथ आतंकियों के नापाक इरादे नाकाम करने के लिए मौके पर जा पहुंचे। उन्हें गांव में घुसता देख आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, लेकिन चीता बाकी साथियों को पीछे छोड़ आतंकियों को चकमा देते हुए उनके बेहद करीब जा पहुंचे। आकंतकियों ने खुद को घिरा हुआ जान चीता को निशाना बनाकर गोलियां और ग्रेनेड दागे। इससे चीता गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बावजूद चीता ने लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर अबू हारिश को मार गिराया। घायल होने के बाद भी उन्होंने 16 राउंड गोलियां चलाई थीं।

Read More: जिंदगी की जंग जीत घर लौटेंगे सीआरपीएफ कमांडेंट चेतन चीता, स्वागत को उतावला हुआ कोटा

शरीर गोलियों से छलनी, फिर भी लड़ता रहा हमारा जांबाज

सर्च ऑपरेशन खत्म होने के बाद जब साथियों ने अपने जांबाज कमांडर की तलाश की तो पता चला कि खून से लथपथ पड़े हैं। सेना के जवान उन्हें तत्काल आर्मी बेस हॉस्पिटल लेकर पहुंचे, लेकिन वहां इलाज संभव न होने पर आनन-फानन में एयर एम्बुलेंस से दिल्ली स्थित एम्स के ट्रोमा सेंटर में लाया गया। ऑपरेशन के बाद डॉक्टर उनके पेट में लगी छह गोलियां निकाली, लेकिन बाकी हिस्सों में लगी गोलियां निकाले में पूरा एक महीना लगा।

Read More: मंगल चला तुला के घर, खुलेगी इन 5 राशि वालों की किस्मत, संभाल कर रखिए अपना मन

सीआरपीएफ महानिदेशक ने बताया पहला हेल्थ बुलेटिन

सीआरपीएफ के महानिदेशक के. दुर्गाप्रसाद ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि आतंकियों ने गोलियां और ग्रेनेड दागे, जिससे उनके हाथ, पैर, कूल्हे और पेट में कई गोलियां जा धसीं। एक गोली से जाबांज जवान की दाई आंख भी छलनी हो गई। इसी बीच आतंकियों के फेंके एक ग्रेनेड में धमाका होने से चीता के दोनों हाथों में भी फैक्चर हो गया और सिर एवं चेहरे में छर्रे जा धंसे। घायल होने के बाद भी उन्होंने 16 राउंड गोलियां चलाई थीं।

Read More: अन्नदाता के आंसूः जब आप घोड़े बेचकर सो रहे होते हैं, पूरी रात जाग कर काटता है किसान का परिवार

20 दिन पहले मारा था लखवी का भांजा

इस एनकाउंटर से तीन महीने पहले ही चीता की तैनाती कश्मीर में हुई थी, लेकिन वह आतंकवादियों के बीच दहशत का पर्याय बन गए थे। 20 जनवरी को भी बांदीपोर इलाके में आतंकियों से उनकी मुठभेड़ में उन्होंने जाकिर उर रहमान लखवी के भांजे और लश्कर कमांडर अबू मुसैब को मार गिराया था। बेटे की बहादुरी का किस्सा सुन पिता का सीना भी गर्व से फूल गया था। कोटा के खेड़ली फाटक निवासी पूर्व आरएएस अफसर रामगोपाल चीता फालेज होने के कारण चल फिर नहीं सकते, लेकिन बेटे की बहादुरी का किस्सा सुन दो साल बाद बिस्तर से उठ बैठे और बोले कि मुझे अपने बेटे पर नाज है।