10 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

द रोड ऑफ डेथ, यहां पहुंचते ही ड्राइवरों की बढ़ जाती है हार्टबीट, कदम-कदम पर खड़ी है मौत

ऐसी सड़क से निकलने से अच्छा है खड़े रहना। जब यहां से कोई भी वाहन गुजरता है तो ड्राइवर की हार्टबीट बढ़ जाती है।

2 min read
Google source verification

कोटा

image

Zuber Khan

Dec 25, 2017

Dangerous roads in kota

कोटा . ऐसी सड़क से निकलने से अच्छा है खड़े रहना। आपको समझ नहीं आ रहा होगा आखिर माजरा क्या है? हम आपको बता देते हैं, बात हो रही है कोटा संभाग के सबसे खतरनाक रोड की। इस रोड पर एक भी दिन ऐसा नहीं निकलता जब हादसा न होता हो। यहां से गुजरने का मतलब है मौत को दावत देना। लेकिन लोगों को अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए इसी मार्ग से गुजरना पड़ता है।

Read More: कोटावासियों हो जाइए तैयार, आ रही जंगल की सरकार

हालांकि वाहन चालक सतर्कता व सूझबूझ से हादसों को रोक सकते हैं। दरअसल केशवरायपाटन क्षेत्र में कोटा-लालसोट मेगा हाइवे पर जगह-जगह अंधे मोड हैं। जब यहां से कोई वाहन गुजरता है तो ड्राइवरों की हार्टबीट बढ़ जाती है। उसके पसीने छूटते हैं, इसके बाद भी वह मौत के साथ खेलता हुआ यहां से वाहन को ड्राइव करते हुए निकलता हैं।

Read More: मुकुन्दरा हिल्स टाइगर रिजर्व: अब घने जंगल के बीच 25 km चंबल में सफारी का मिलेगा मौका, नजदीक से देखिए जंगल की खूबसूरती


सवाईमाधोपुर में नदी में गिरने के हादसों पर बस चालकों व प्राइवेट बस यूनियन के अध्यक्ष सत्यनारायण साहू से बात की। उन्होंने कहा, सबसे ज्यादा जिस रूट पर मौतें होती हैं वह कोटा-लालसोट मार्ग है। एेसा कोई दिन नहीं जाता जब इस मार्ग पर दुर्घटनाएं नहीं होती हो। ड्राइवर इस रूट को मौत का रूट कहते हैं। साहू ने कहा कि इस मार्ग पर सबसे बड़ी कमी इंजीनियरिंग की है। मार्ग में जगह-जगह अंधे मोड है जो दिखाई नहीं देते और हादसा हो जाता है। सरकार ने अंधाधुंध परमिट बांट दिए जिस कारण प्रतिस्पर्धा बढ़ गई। आगे निकलने की होड़ में दुर्घटनाएं हो रही है।
पीएमओ से आए आदेश पर भी नहीं

Read More: कोटा में न हो जाए सवाईमाधोपुर जैसा दर्दनाक हादसा, शराब के नशे में अंधाधुंध दौड़ा रहे बसें, यात्रियों की अटकी सांसें


हुई कोई सुनवाई
साहू ने बताया कि इस मार्ग पर कई लोगों की जान जा चुकी है, जिसकी शिकायत प्रधानमंत्री को भी कर चुके हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से राजस्थान के मुख्य सचिव को आदेश जारी हुआ और सचिव के यहां से पीडब्लूडी विभाग को आदेश दिया है कि इस मार्ग की पूरी जांच की जाए, लेकिन कोई ध्यान नहीं दे रहा।