
कोटा। विकास की दौड़ ने भगवान को भी मुश्किल में डाल दिया है। चंबल रिवर फ्रंट के निर्माण के दौरान बनाए गए एनिकट के कारण कुन्हाड़ी क्षेत्र में नदी तट पर दुर्लभ व प्राचीन देव प्रतिमाएं नदी में समा गई। धर्म प्रेमियों को इसका पता चला तो उन्होंने प्रतिमाओं को पुनर्स्थापित करने का बीड़ा उठाया है। कुन्हाड़ी क्षेत्र में बीजासन माता मंदिर के पास नदी के तट पर चंबल की कराई में चट्टानों के बीच कान्हा कराई व प्राचीन घाटों के पास धार्मिक स्थल हैं। देवालय सुधार समिति के संयोजक क्रांति तिवारी के मुताबिक, देव प्रतिमाओं को उचित स्थान पर स्थापित किया जाना चाहिए।
मामले में नगर विकास न्यास के अधिशासी अभियंता कमल मीणा ने बताया कि अभी यहां जलस्तर 235.70 के करीब है। इस स्तर से ऊपर उठाकर प्रतिमाओं को उपयुक्त स्थान पर स्थापित करेंगे। इसके लिए चैनपुलिंग की व्यवस्था कर रहे हैं। कान्हा की कराई में अब भी पानी है। क्रांति तिवारी, एडवोकेट मनीश गुर्जर ने बताया कि दशावतार, वराह अवतार,गोपियों के संग भगवान कृष्ण, समेत डेढ़ दर्जन देव प्रतिमाएं हैं। कान्हा कराई से कुछ दूरी पर हाथों में वेद लिए चतुर्मुखी ब्रह्मा की प्रतिमा है। एक नंदी है और एक नारायण स्वरूप की प्रतिमाओं को धर्मप्रेमियों ने बाहर निकाला है। कान्हा की कराई से पहले चट्टानों पर उकेरी गई शेर पर सवार देवी दुर्गा, हंस पर सवार देवी सरस्वती व पद्मासन मुद्रा में एक अन्य प्रतिमा है। शिव प्रतिमा पानी में है। इनके अलावा स्वयंभू शिवलिंग, गणेश समेत अन्य प्रतिमाएं भी हैं।
ये शोध का विषय
शैलचित्र व पुरातत्ववेत्ता ओम प्रकाश शर्मा कुक्की बताते हैं कि यहां जो प्रतिमाएं बाहर निकाली गई है, यह अद्रभुत हैं। यह पाषाण भी अलग है। प्रतिमाएं कितनी प्राचीन हैं? यह शोध का विषय है। ब्रह्मा का स्वरूप शिव का भी आभास करवाता है। इस तरह की मूर्तियां कम ही नजर आती है। इन प्रतिमाओं के बारे में और जानकारी अर्जित करेंगे। हाड़ौती में शैलचित्र तो नजर आते हैं, लेकिन जहां जो इनिग्रविंग का कार्य नजर आया है, वह अनूठा है। इनमें तंत्रविद्या जैसे अलंकरण नजर आए हैं, जो विशेष हैं। वहीं धर्मप्रेमियों ने शुक्रवार को चंबल के जल से निकाली गई प्रतिमाओं का अभिषेक कर पूजा की। शनिवार को श्रमदान करेंगे। तिवारी ने कहा कि देव प्रतिमाओं को जल्द स्थापित किया जाए ताकि सावन में अभिषेक किया जा सके।
Published on:
17 Jun 2023 02:03 pm
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