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निगम-न्यास में तकरार, खामियाजा भुगतेंगे शहरवासी

कोटा. नगर निगम और नगर विकास न्यास के बीच कॉलोनियों के हस्तान्तरण व विकास शुल्क को लेकर चल रहा विवाद और गहरा गया है।

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कोटा

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abhishek jain

Sep 28, 2017

Dispute between Municipal Corporation and CIty Development Trust Kota

कोटा. नगर निगम और नगर विकास न्यास के बीच कॉलोनियों के हस्तान्तरण व विकास शुल्क को लेकर चल रहा विवाद और गहरा गया है।

कोटा . नगर निगम और नगर विकास न्यास के बीच कॉलोनियों के हस्तान्तरण व विकास शुल्क को लेकर चल रहा विवाद और गहरा गया है। विवाद इस कदर बढ़ गया कि इस बार निगम प्रशासन ने दशहरा मेला कार्यक्रमों के आयोजन में न्यास की मदद लेने से ही मना कर दिया। इसके चलते न्यास प्रशासन को पत्र तक नहीं लिखा गया। उधर न्यास प्रशासन ने तल्खी दिखाते हुए निगम के पर कतर दिए हैं। न्यास ने निगम क्षेत्र में विकास कार्य करवाने से हाथ खड़े कर दिए। दोनों विभागों की लड़ाई का खामियाजा आने वाले दिनों में शहरवासियों को भुगतना पड़ेगा। विवाद को लेकर राजनीतिक गलियारे में भी खासी चर्चा है।


निगम सीमा क्षेत्र में भूखण्ड बेचने की एवज में नगर विकास न्यास को निगम को पैसा देना होता है। न्यास पर बकाया करीब 50 करोड़ रुपए निगम अर्से से मांग रहा है, लेकिन न्यास नहीं दे रहा। निगम के तकाजे के बाद न्यास ने पिछले दिनों पांच करोड़ रुपए दिए थे। निगम प्रशासन न्यास से पूरी रकम लेना चाहता है। इस मसले पर पिछले दिनों हुई बोर्ड बैठक में भी आयुक्त ने कड़ा ऐतराज जताया था। न्यास का तर्क था कि निगम क्षेत्र में हर साल विकास कार्य करवाए जाते हैं, इसलिए राशि क्यों दी जाए।


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तन गई भौहें
न्यास और निगम के बीच चल रही खींचतान का मसला विधायकों और सांसद तक भी पहुंच गया है। जनप्रतिनिधियों के दखल के बाद हाल ही जिला कलक्टर ने दोनों विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई। जिला कलक्टर ने आपसी तालमेल से काम करने पर जोर दिया, लेकिन निगम आयुक्त और न्यास सचिव सहमत नहीं हुए। दोनों अधिकारियों की तकरार भी हुई थी।

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न्यास ने भी दिखाई सख्ती
विवाद के बाद न्यास ने भी निगम सीमा क्षेत्र में विकास कार्य करने में सख्ती दिखा दी है। न्यास नॉन प्लानिंग क्षेत्र में अभी पार्षदों और जनप्रतिनिधियों की अनुसंशा पर ही विकास कार्य करवा देता था, लेकिन अब निगम प्रशासन से अनापत्ति पत्र मांगा जा रहा है। एनओसी में निगम को यह लिखकर देना होगा कि जो निगम क्षेत्र में काम करवाया जा रहा है, उसकी राशि निगम को दी जानी वाली 50 करोड़ की राशि में समायोजित की जाए। इसके चलते नॉन प्लानिंग क्षेत्र के कार्य ठप हो गए हैं।

यूआईटी अध्यक्ष आरके मेहता का कहना है कि न्यास, निगम क्षेत्र में विकास कार्य करवाता है, इसलिए निगम को उसके हिस्से की राशि नहीं दी जा रही है। जिला कलक्टर के यहां हुई बैठक में भी यह बात रखी थी। न्यास ने मेले के कार्यक्रम प्रायोजित करने के लिए अभी तक पत्र नहीं भेजा है। हम तो राशि देने के लिए तैयार हैं।


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चिट्ठी तक नहीं भेजी
न्यास राष्ट्रीय दशहरा मेले में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम में हर साल मुख्य प्रायोजक के रूप में निगम को आर्थिक सहयोग करता है। मेला समिति हर बार न्यास से पैसा लेने के लिए चक्कर लगाती है। पिछले साल न्यास ने मेले में कार्यक्रम प्रायोजित करने के लिए 80 लाख रुपए निगम को दिए थे। न्यास अध्यक्ष की फरमाइश पर पिछले साल दलेर मेहंदी को बुलाया गया था। इस बार अभी तक निगम ने न्यास को पत्र तक नहीं भेजा है। मेला समिति सदस्यों ने इस बारे में आयुक्त से बात की तो उन्होंने न्यास का मेले में सहयोग लेने से स्पष्ट मना कर दिया। आयुक्त ने कह दिया कि न्यास से पूरी राशि लेकर रहेंगे।
महापौर महेश विजय का कहना है कि राशि को लेकर प्रशासनिक स्तर पर विवाद चल रहा है। दोनों विभागों को सामंजस्य से काम करना चाहिए। तालमेल बिठाया जा रहा है। मेले के कार्यक्रम के संबंध में पत्र प्रशासनिक स्तर पर जाता है। इसकी जानकारी नहीं है। इस बारे में अधिकारियों से बात करेंगे।

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आज से काटी जाएगी रसीद, मेले में छोटे दुकानदारों के लिए जगह तय

कोटा. राष्ट्रीय दशहरा मेले में छोटे दुकानदारों के लिए मेला समिति ने बुधवार को जगह तय कर दी है। गुरुवार से रसीद काटने का काम शुरू हो गया है।
महापौर महेश विजय, मेला समिति अध्यक्ष राममोहन मित्रा, महेश गौतम लल्ली, नरेन्द्र हाड़ा व अधिकारियों ने दिनभर दुकानों की जगह को लेकर चर्चा करते रहे। इसके बाद अधिकारियों के साथ मैदान का दौरा किया। इसमें 110 दुकानों को निगम की पुरानी हेल्पलाइन के पास जगह दी गई है। 40 दुकानें निगम के पुराने भवन के पास व अन्य जगह आवंटित की गई हैं। अब दुकानों के आवंटन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। मेले का निर्माण कार्य चलने के कारण कुछ दुकानदार जगह को लेकर आपत्ति जता रहे हैं, नई जगह देने की मांग कर रहे हैं। मित्रा ने बताया कि नक्शा तैयार हो गया है, अब जगह परिर्वतन करना संभव नहीं है। उधर मेले के कार्यक्रमों के लाइव प्रसारण को लेकर हरी झण्डी दे दी है।

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बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता नहीं होगी
मेले में हर साल बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। इसमें कोटा के खिलाडिय़ों के अलावा राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी भी भाग लेते हैं, लेकिन इस बार यह प्रतियोगिता आयोजित नहीं करने का निर्णय किया गया है। मेला समिति ने इस बारे में आयुक्त से बात की है। उन्होंने प्रतियोगिता आयोजित करने को लेकर मना कर दिया है।

कोटा बॉडी बिल्डिंग एसोसिएशन के उपाध्यक्ष हीरेन्द्र शर्मा ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह कार्यक्रम कोटा के खिलाडिय़ों को प्रोत्साहित करने के लिए आयोजित किया जाता था। इसमें डेढ़ लाख रुपए निगम तथा 2.50 लाख रुपए न्यास देता था। उधर महापौर का कहना है कि मेला समिति की बैठक में इस मसले पर चर्चा की जाएगी।