11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

राष्ट्रीय पक्षी मोर की जान बचाने के लिए किया आंख का ऑपरेशन, डॉक्टरों ने निकाली 70 ग्राम की गांठ

राष्ट्रीय पक्षी की जान बचाने के लिए हाड़ौती में पहली बार किसी मोर का ऑपरेशन किया गया। डॉक्टरों ने आंख के पास से 70 ग्राम की गांठ निकाली।

2 min read
Google source verification
Peacock

Peacock

कोटा के चिडि़याघर में मंगलवार को राष्ट्रीय पक्षी मोर का ऑपेरशन कर आंख के पास से 70 ग्राम की गांठ निकाली गई। आपरेशन करीब 50 मिनट तक चला। चिकित्सकों का मानना है कि किसी भी पक्षी का इस तरह का ऑपरेशन संभाग में पहली बार किया गया है। गांठ को विस्तृत जांच के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर बरेली भेजा जाएगा।







कोटा चिड़ियाघर के डॉ अखिलेश पांडेय ने बताया कि लाडपुरा रेंज से एक घायल मोर को कोटा लाया गया था। चोट लगने से मोर की आंख के पास बड़ी गांठ हो गई थी। गांठ इतनी भारी हो चुकी थी कि मोर गर्दन भी नहीं उठा पा रहा था। दर्द के कारण दाना पानी खाने में भी दिक्कत आ रही थी। कोटा जू के डॉक्टरों ने तय किया कि मोर का ऑपरेशन कर इस गांठ को निकाला जाए, लेकिन समस्या यह थी कि गांठ किस तरह की है और कैसे बनी है इसकी जानकारी नहीं थी। मोर की जान बचाने के लिए डॉ. पांडेय और डॉ गणेश नारायण ने नंदकिशोर वर्मा समेत तीन सदस्यीय चिकित्सकों ने ऑपरेशन किया।

Read More: समोसे खा रहा था कंपाउंडर, केनुला बदलने को कहा तो फोड़ दिया तीमारदार का सिर

ऑपरेशन कर निकाली 70 ग्राम वजनी गांठ

चिकित्सकों की टीम ने मोर को अचेत कर उसका ऑपरेशन किया और 70 ग्राम वजनी गांठ निकाली। पूरा ऑपरेशन 50 मिनट तक चला। मोर अब स्वस्थ है। इसे दवा दी जा रही है। ऑपरेशन होने के बाद इसने दाना भी खाया है। डॉ अखिलेश ने बताया कि इस तरह की बीमारी वाले मोर पहले में भी आए है, लेकिन अक्सर इस स्थिति में आए कि ऑपरेशन करना मुश्किल हो गया। गर्दन और आसपास इस तरह की गांठ होने पर मोर दाना भी नहीं खा सकता। इससे वह कमजोर भी हो जाता है और दम तोड़ देता है।

Read More: पीएम मोदी ने भी Indian Politics की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री पर साधी चुप्पी

अभी चल रहा है इलाज

लाडपुरा रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी दाता राम ने बताया कि मोर के घायल होने की सूचना पर आरकेपुरम क्षेत्र से सोमवार को उसे कोटा जू लाया गया था। इसकी स्थिति को देखते हुए इसका इलाज करवाया है। ऑपरेशन के बाद इसे लाडपुरा रेंज में रखवाया गया है। इसकी देखरेख के लिए कर्मचारियों को पाबंद किया है। मोर के घाव पर हर आठ घंटे में दवा लगाई जानी है। दो से तीन दिन में मोर को और आराम आ जाएगा। इसके बाद इसे खुले में छोड़ दिया जाएगा।