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तीन साल से अटकी रोजगारमुखी की फाइल

कोटा विश्वविद्यालय में अधिकारियों की अनदेखी के चलते कॉमर्स एंड मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर पोस्ट ग्रेजुएट में स्वपोषित एमकॉम इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन पाठ्यक्रम नहीं खुल पाया है। जबकि तीन साल से पाठ्यक्रम बोर्ड ऑफ स्टडी व एकेडमिक काउंसिल की बैठक में पास होने के बाद भी फाइलों में घूम रहा है।  

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कोटा

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Abhishek Gupta

Jun 20, 2021

तीन साल से अटकी रोजगारमुखी की फाइल

तीन साल से अटकी रोजगारमुखी की फाइल

कोटा. कोटा विश्वविद्यालय में अधिकारियों की अनदेखी के चलते कॉमर्स एंड मैनेजमेंट में स्नातकोत्तर पोस्ट ग्रेजुएट में स्वपोषित एमकॉम इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन पाठ्यक्रम नहीं खुल पाया है। जबकि तीन साल से पाठ्यक्रम बोर्ड ऑफ स्टडी व एकेडमिक काउंसिल की बैठक में पास होने के बाद भी फाइलों में घूम रहा है। ऐसे में संभागभर के विद्यार्थी रोजगारमुखी पाठ्यक्रम में दाखिले से वंचित है। प्रदेश का यह पहला विवि है, जहां पर एमकॉम के तीनों मूल विषयों का एक भी पाठ्यक्रम संचालित नहीं हो रहा है। इसे कोटा विवि की विडम्बना ही कहें या कुछ और।

कोटा विवि के अधीन कॉलेजों में यह पाठ्यक्रम है, लेकिन कोटा विवि में नहीं है। संभाग में कॉमर्स कॉलेज में 60 सीट व जेडीबी कॉमर्स कॉलेज में 60 सीट है, लेकिन इन कॉलेजों में सीटें कम होने से संभाग के छात्रों के प्रवेश नहीं होते है। ऐसे में उन्हें मजबूरी में जयपुर, उदयपुर व अजमेर जाना पड़ता हैं। हर साल कॉलेजों में इस विषय में करीब 250-300 आवेदन आते हैं। जबकि सरकारी नौकरी में एम.कॉम इन बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की मांग लगातार बढ़ जा रही हैं। हाल ही में आरपीएससी भी असिस्टेंट प्रोफेसर की वाणिज्य वर्ग में एमकॉम को ही मान्य माना है।

ये पाठ्यक्रम होते संचालित, लेकिन ये नहीं

कोटा विवि में कॉमर्स एंड मैनेजमेंट विभाग में सिर्फ 1 कोर्स एमकॉम इन एकाउंटिंग एंड फ ाइनेंस व दो कोर्स एमबीए इन इंटरनेशनल बिजनेस, एम बीए मैनेजमेंट कोर्स चल रहा है। जबकि वाणिज्य के प्रमुख कोर्स एमकॉम इन इकोनॉमिक्स, एकाउंट्स एंड बिजनेस स्टेटिस्ट्रीक व बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन अब तक नहीं खुल पाया हैं।

और इन्होंने भी दे दी अनुमति...

यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार विवि में कोई भी कोर्स सेमेस्टर सिस्टम व सिलेबस से लागू होता है, लेकिन कोटा विवि में सेमेस्टर की बजाए महाविद्यालय में संचालित एक वर्ष पाठ्यक्रम तीन साल से सभी बैठकों में पास करवाता रहा। विवि के कुलसचिव ने भी इस आधार पर जुलाई में पाठ्यक्रम खोलने की अनुमति प्रदान कर दी। यह मामला जब सामने आया तब डीन ने इस पाठ्यक्रम में एडमिशन विज्ञापन के लिए हैड को भेजा तब एक के बाद एक विभिन्न कमियां खुलती गई।

इनका यह कहना

बैठकों में एमकॉम पाठ्यक्रम को अनुमति मिली हुई है, लेकिन विवि के अनुसार सेमेस्टर वाइज सिलेबस की अनुमति नहीं मिली थी। इस कारण यह लागू नहीं हो पाया है। डिप्टी रजिस्ट्रार एकेडमिक से बात हुई थी। उसके बाद सिलेबस को सेमेस्टर वाइज डिजाइन करवा चुके है।

डॉ. अनुकृति शर्मा, विभागाध्यक्ष, कॉमर्स एंड मैनेजमेंट विभाग

पहले एकेडमिक काउंसिल की बैठक में 2-3 बार यह पाठ्यक्रम पास हो चुका है, लेकिन जब भी इसे लागू करने की बात कहते है तो हर बार कहते अगले सत्र से लागू करेंगे, लेकिन आज तक यह लागू नहीं हुआ है। नए सेमेस्टर वाइज सिलेबस को माननीय कुलपति से अनुमोदित करवाकर इसी सत्र से कोर्स शुरू किया जा सकता है। कुलपति को विशेषाधिकार है। गेस्ट फैकल्टीज लगाकर पढ़ाई करवा सकते है। इसे चालू करने की अधिकारियों की इच्छा शक्ति नहीं है।

गोपाल सिंह, वरिष्ठ सदस्य, एकेडमिक काउंसिल

एचओडी से बात करेंगेबैठकों में इस पाठ्यक्रम संचालन की अनुमति है। यह लागू नहीं हो रहा है तो इसी सत्र से लागू करवाने के लिए पूरा प्रयास करूंगी।

नीलिमा सिंह, कुलपति, कोटा विवि