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इस मां के दर पर सिर झुकाने पूरे भारत देश से आते हैं भक्त, अनोखी है इनकी लीला

कोटा. रामगंजमंडी के खैराबाद में स्थित फलौदी माता की दूर-दूर तक ख्याति है। मां फलौदी के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं।

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कोटा

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abhishek jain

Sep 29, 2017

Falodi Mata Temple in Khairabad Ramgajmandi Kota Rajasthan

कोटा. रामगंजमंडी के खैराबाद में स्थित फलौदी माता की दूर-दूर तक ख्याति है। मां फलौदी के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं।

कोटा . रामगंजमंडी के खैराबाद में स्थित फलौदी माता की दूर-दूर तक ख्याति है। रेलवे स्टेशन से एक किलोमीटर दूर खैराबाद धाम स्थित सिद्धपीठ में मां फ लौदी के दर्शन के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं। नवरात्र के दिनों में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ा है। मां फलौदी मेड़तवाल समाज की कुलदेवी है लेकिन अन्य समाज के लोग भी माता के दर्शन को यहां पहुंचते हैं।

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किवदंती है कि नवरात्र में 9 दिन देवी अलौकिक रूप से मंदिर प्रांगण में विचरण करती है। यहां श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। लोगों की मान्यता है कि नवरात्र में मंदिर में 108 परिक्रमा लगाने से मनोरथ पूर्ण होते हैं। पंडित अशोक द्विवेदी के अनुसार मेड़़तवाल समाज का यह अष्टकोणीय मंदिर विश्वभर में प्रसिद्ध है। गर्भगृह में देवी सिंहासन पर विराजमान है।

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समाज के उपाध्यक्ष घनश्याम मेड़तवाल ने बताया कि 1960 से माताजी मंदिर के गर्भगृह में अखंड ज्योति प्रज्जवलित है। करीब 228 वर्ष पूर्व झालरापाटन के सेठ दलजी मनीराम ने एक व्यक्ति से 2 बीघा जमीन खरीदकर यहां मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर के गर्भगृह में सोने, चांदी व कांच की सुन्दर कारीगरी व चित्रांकन दर्शनीय है। गुम्बदों पर अनूठी वास्तुकला है।

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ईशान कोण में जलकुंड है। जिसके पवित्र जल से कई असाध्य व त्वचा रोग दूर होते हैं। नवरात्र में अष्टमी पर फलौदी माता को गर्भगृह के मूल सिंहासन से बाहर विराजमान किया जाता है। इस दिन देश के विभिन्न स्थानों से हजारों श्रद्धालु आते हैं। हवन होता है और श्रद्धालुओं को पुष्प, फ ल व ज्वारे वितरित किए जाते हैं। मान्यता है कि इन्हें घर में रखने से समृद्धि रहती है। नवरात्र में 9 दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है।