
सांगोद में उजाड़ नदी में मिलता नालों का दूषित पानी।
सांगोद. कई बड़े कस्बों एवं गांवों को अपने आंचल में समेट लोगों को पुण्य अर्जन कराती उजाड़ नदी की मैली हो रही कोख को पावन करने की दिशा में यहां कोई प्रयास सिरे नहीं चढ़़ रहा। उजाड़ नदी नालों के पानी से लगातार प्रदूषित होती जा रही है।
बीते सालों में नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए बातें तो खुब हुई, थोड़े से प्रयास भी हुए, लेकिन मैली होती जा रही उजाड़ की कोख अब भी दूषित होती जा रही है। नालों में बहकर आने वाली गंदगी व दूषित पानी से सांगोद की गंगा मैली होती जा रही है। नगर पालिका के पूर्ववती भाजपा बोर्ड ने इस दिशा में पहल जरूर शुरू की। बगीची घाट के पास बड़े नाले पर फिल्टर बनाया। कुछ माह तक समस्या से थोड़ी बहुत निजात भी मिली। लेकिन बाद में बजट की कमी से योजना सिरे नहीं चढ़ पाई।
ऐसे में नदी की खोक को पावन करने की नगर पालिका बोर्ड की मंशा बजट के अभाव में सपना बनकर रह गई।
दर्जनों नाले नदी में
यहां बगीची घाट से उजाड़ नदी की पुरानी पुलिया तक जगह जगह दर्जनों छोटे बड़े नालों केजरिए कस्बे की सारी गंदगी नालों के पानी के साथ पानी में मिल रही है। नदी में जलप्रवाह के दौरान तो यह गंदगी बहकर आगे निकल जाती है लेकिन नदी में पानी का वेग थमने के बाद सारी गंदगी नदी के तटों पर जमा हो जाती है। नदी का पानी पीने तो दूर नहाने लायक भी नहीं रहता।
नदी का धार्मिक महत्व
मां अन्नपूर्णा और उजाड़ेश्वरी जैसे नामों से पूजी जाने वाली उजाड़ नदी का यहां धार्मिक महत्व भी है। शादी ब्याह की रस्ते हो या मंदिरों में देव प्रतिमाओं का स्नान, या फिर अन्य धार्मिक कार्य। बिना नदी के पानी के नहीं होते। डोलयात्रा एकादशी पर नगर के सभी मंदिरों के देव विमानों को भी जलवा पूजन के लिए यहां लाया जाता है। मोहर्रम पर भी ताजियों को उजाड़ नदी के पानी में ही ठंडा किया जाता है। ऐसे में प्रदूषित हो रही उजाड़ नदी से लोगों की धार्मिक भावनाएं भी आहत होती है।
Published on:
14 Dec 2020 09:44 pm
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