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कोटा। रामपुरा बाजार स्थित एक ज्वैलरी शोरूम में गुरुवार दोपहर जयपुर से माल सप्लाई के लिए आए व्यापारी राजकुमार सोनी को अचानक हार्ट अटैक आ गया। माल दिखाते समय वे कुर्सी पर बैठे-बैठे ही काउंटर की ओर गिर गए। इसके बाद मौके पर मौजूद लोगों ने उन्हें संभाला, लेकिन तब तक वे बेहोश हो चुके थे। गनीमत रही कि शोरूम संचालक के बेटे ने तुरंत सीपीआर देकर उनकी जान बचा ली। पूरी घटना वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई।
शोरूम मालिक विमल जैन ने बताया कि गुरुवार दोपहर 2 बजे उनका बेटा वरुण जैन काउंटर संभाल रहा था। जयपुर के झोटवाड़ा निवासी राजकुमार सोनी हर 2-4 माह में नगीने दिखाने कोटा आते हैं। वे नगीने दिखा रहे थे, तभी काउंटर की ओर गिर गए। हमें लगा कि मामला हार्ट अटैक का हो सकता है। वरुण ने तुरंत स्थिति को भांपते हुए उन्हें सीपीआर देना शुरू कर दिया। पूरी कोशिश करते हुए लगभग एक से डेढ़ मिनट तक लगातार सीपीआर देने के बाद व्यापारी की सांसें वापस चलने लगीं और वे फिर हरकत करने लगे। इस दौरान दुकान में मौजूद कर्मचारियों ने भी मदद की। घटना दुकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में रिकॉर्ड हो गई। इसमें साफ दिख रहा है कि समय पर दिया गया सीपीआर व्यापारी की जान बचाने में कारगर साबित हुआ।
वरुण जैन ने बताया कि वे अक्सर वीडियो व अन्य कार्यक्रमों में सीपीआर से संबंधित जागरूकता प्रशिक्षण देखते थे। ऐसे में जब उन्होंने देखा कि राजकुमार बेहोश होकर गिर गए, तो उन्होंने तुरंत सीपीआर देकर उनकी स्थिति सुधारने की कोशिश की, जो सफल रही। बाद में जीवन रक्षक दवा डिस्प्रिन उन्हें खिलाई गई। बाद में अस्पताल ले जाने की बात कही, लेकिन व्यापारी स्वयं को ठीक बताते हुए पैदल ही दुकान से वापस चले गए। जैन ने बताया कि शुक्रवार सुबह उनकी राजकुमार सोनी से फोन पर बात हुई। उन्होंने स्वयं को पूरी तरह स्वस्थ बताया।
यदि कोई व्यक्ति अचानक बेहोश होकर गिर जाता है और आवाज देने पर भी प्रतिक्रिया नहीं देता तो तुरंत उसकी सांसें और नाड़ी जांचनी चाहिए। यदि सांसें नहीं चल रही हों तो बिना समय गंवाए सीपीआर शुरू करना चाहिए। छाती के बीचों-बीच दोनों हाथों की सहायता से लगातार दबाव देना होता है। एक मिनट में 100 से 120 बार दबाव दिया जाना चाहिए। दबाव इतना होना चाहिए कि छाती 2 से 3 इंच नीचे तक दबे। यह प्रक्रिया एक से दो मिनट तक लगातार करनी चाहिए।
यदि इस दौरान व्यक्ति की सांसें वापस चलने लगे तो उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचाना चाहिए, ताकि आगे की चिकित्सकीय जांच और उपचार हो सके। डिस्प्रिन की गोली सिर्फ तभी दी जा सकती है, जब मरीज होश में हो। यह गोली प्रारंभिक राहत देती है, लेकिन सीपीआर और तत्परता से अस्पताल ले जाना सबसे ज्यादा जरूरी है। -डॉ. भंवर रिणवां, ह्रदय रोग विशेषज्ञ
Updated on:
12 Dec 2025 08:19 pm
Published on:
12 Dec 2025 08:09 pm
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