हाड़ौती किसान यूनियन के महामंत्री दशरथ कुमार ने बताया कि किसान आंदोलन के बाद धान की बुवाई के लिए नहरों में जुलाई में ही पानी छोड़ने से किसानों का रुझान बढ़ रहा है। दो साल में 40 फीसदी तक का उछाल आना भी रकबा बढ़ने का मुख्य कारण है।
साल 2022-23 में धान का रकबा 1.30 लाख हेक्टेयर था, जो साल 2023-24 में बढ़कर 1.50 लाख हेक्टेयर हो गया। 2024-25 में यह रकबा 2 लाख हेक्टेयर पहुंचने की संभावना है। यानी धान का रकबा करीब 33 फीसदी और बढ़ेगा।
500 बीघा से ज्यादा में हो चुकी बुवाई
बूंदी जिले के बरुंधन निवासी रामप्रसाद सुमन ने बताया कि बरुंधन, भंवरिया कुआं, धनातरी सहित अन्य गांवों में 500 बीघा में धान की अगेती बुवाई हो चुकी है। किसानों ने बताया कि पंजाब-हरियाणा में निर्यातक सीधे किसानों से धान खरीद रहे हैं। हाड़ौती में निर्यातकों की कमी के चलते किसानों को हरियाणा व पंजाब के मुकाबले 250 से 300 रुपए प्रति क्विंटल भाव कम मिले हैं। अच्छे भाव मिलने व धान की बुवाई के लिए नहरों में पानी छोड़ने से इस बार धान का रकबा करीब 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है। कृषि विभाग ने भी पिछले साल 38205 हेक्टेयर के मुकाबले 41000 हेक्टेयर धान की बुवाई का लक्ष्य रखा है।
रमेश चांडक, संयुक्त निदेशक कृषि