
गोपालन बायलॉज : प्रदेश में सिर्फ जयपुर में ही लागू, नुकसान यह हुआ कि कोटा शहर की सड़कें गोशाला बनी
जयप्रकाश सिंह
गत अप्रेल में स्वायत्त शासन विभाग ने पूरे जोर-शोर से प्रदेश के सभी नगरीय निकाय क्षेत्र में गाय-भैंस पालने के सम्बन्ध में गोपालन बायलॉज की घोषणा की थी। इसमें शहरी क्षेत्र के लोगों को लाइसेंस लेकर घर पर सिर्फ एक ही गाय या भैंस पालने की अनुमति थी। इसकी पालना नहीं करने पर भारी जुर्माने और कार्रवाई का प्रावधान रखा गया, लेकिन एक माह बाद ही राज्य सरकार ने यू-टर्न लेते हुए इस नियम को सिर्फ जयपुर शहर तक ही सीमित कर दिया।
इस बायलॉज में कुछ खामियां होने के कारण उसमें संशोधन के बाद ही अन्य शहरों में लागू करने की बात कही गई। अब पिछले तीन माह से नगरीय निकाय संशोधित बायलॉज का इंतजार कर रहे हैं।बायलॉज लागू नहीं होने का नुकसान यह है कि बरसात के मौसम में कोटा समेत प्रदेश के अन्य शहरों की सड़कें और गलियां गोशाला बनी हुई हैं। दिन-रात यहां गाय-भैंसों और सांड के झुण्ड दिखाई दे रहे हैं। इनकी वजह से रात के अंधेरे में आए दिन हादसे हो रहे हैं। हादसों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है, लेकिन नगरीय निकाय प्रभावी कार्रवाई नहीं कर रहे।
एक अनुमान के मुताबिक कोटा शहर में करीब 45 हजार गाय और भैंस हैं। शहर के दोनों नगर निगम के अधिकारी लावारिस पशुओं की धरपकड़ का दावा कर रहे हैं, लेकिन उनकी यह कार्रवाई महज खानापूर्ति साबित हो रही है। गत जनवरी से अब तक कोटा उत्तर में 1719 और दक्षिण में 872 लावारिस पशु पकड़े गए। इनमें से 114 पशु मालिकों से 2 लाख 39 हजार 310 रुपए जुर्माना वसूला गया।
कई तरह की पाबंदिया, शर्तें
गत अप्रेल में स्वायत्त शासन विभाग ने सभी निकायों के लिए गोपालन बायलॉज घोषित किया था। बायलॉज के अनुसार शहरी क्षेत्र अब घर पर एक ही गाय या भैंस पाली जा सकती है। इनके पालन के लिए अलग से कम से कम 100 वर्गगज जमीन रखनी होगी। इस जमीन पर पशुपालन के लिए नगर निगम या नगरपालिका से लाइसेंस लेना होगा। लाइसेंस में कई तरह की शर्तें रखी गई। इसके तहत दुधारू पशु पालने से पड़ोस में रहने वालों को गोबर और मूत्र से कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। हर पशु के कान में टैग बांधना होगा, जिस पर उसके मालिक का नाम, पता व मोबाइल नंबर लिखना होगा। यदि पशु सड़कों पर या बाहर घूमता पाया गया तो मालिक पर 10 हजार रुपए तक जुर्माना होगा। हर 10 दिन में पशु के गोबर को शहर से बाहर ले जाकर डालना होगा। रास्ते या खुले स्थान पर पशु को बांधा नहीं जा सकेगा। इन शर्तों और प्रतिबंधों की पालना नहीं करने पर पशुपालक को नोटिस जारी कर उसका लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा। इसके बाद वह पशु नहीं पाल पाएगा।
एक हजार रुपए सालाना फीस
पशु पालन के लाइसेंस के लिए एक हजार रुपए सालाना फीस रखी गई है। पशु लावारिस घूमता मिला तो प्रति पशु परिवहन के 500 रुपए और प्रतिदिन चारे के 100 रुपए वसूल किए जाएंगे। लाइसेंसशुदा पशु के सड़क या बाहर मिलने पर पहली बार 5 हजार और दूसरी बार 10 हजार जुर्माने का प्रावधान किया गया।
स्थानीय अदालत ने सड़कों से पशु हटाने को कहा था
कोटा में सामाजिक कार्यकर्ता डॉ.सुधीर गुप्ता और नईमुद्दीन काजी की ओर से पेश वाद पर स्थानीय अदालत ने फैसला सुनाते हुए पिछले साल अक्टूबर में नगर निगम आयुक्त, जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक को पाबंद किया था कि वह शहर की सड़कों से लावारिस पशुओं को पकड़कर कायन हाउस में बंद करें। वे ये सुनिश्चित करें कि इन पशुओं से सड़कों पर लोगों को आने-जाने में किसी तरह की परेशानी न हों और न ही किसी तरह की दुर्घटनाएं हो। इस फैसले के खिलाफ नगर निगम की ओर से ऊपरी अदालत में अपील विचाराधीन है। हालांकि ऊपरी अदालत ने अधीनस्थ अदालत के फैसले पर रोक नहीं लगाई है।
बायलॉज पर कुछ प्रक्रिया रह गई थी। इसे पूरा कर जल्दी ही पूरे प्रदेश में लागू कर रहे हैं। कोटा में पशुपालकों के लिए देवनारायण आवासीय योजना बनाई है। यहां 600 लोग शिफ्ट हो गए हैं। लावारिस पशुओं को पकडऩे के लिए दोनों निगमों को संसाधन बढ़ाने के लिए कहा है।
शांति धारीवाल, नगरीय विकास मंत्री
निगम की टीम लावारिस पशुओं के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। कई बार पशुपालक झगड़े पर उतारू हो जाते हैं।- राजीव अग्रवाल, महापौर कोटा दक्षिण
Published on:
26 Aug 2022 01:01 am
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