
साढ़े आठ साल में नहीं मिली फूटी कौड़ी
रामगंजमंडी (कोटा). राजकीय मंगलम सामुदायिक चिकित्सालय को बीते साढ़े आठ सालों की अवधि में भाजपा व कांग्रेस की निर्वाचित सरकारों की तरफ से बुनियादी सुविधाओं के विस्तारीकरण के लिए बजट का आवंटन नहीं हुआ। वर्तमान में सुविधाओं के लिए कक्षों की कमी का अभाव खुलकर सामने आने के बावजूद चिकित्सालय विभाग की निर्माण खंड की यूनिट के अधिकारियों की ओर से इस मामले में प्रस्ताव बनाकर सरकार को नहीं भेजे जा रहे। राजकीय सामुदायिक चिकित्सालय का निर्माण राज्य सरकार की जनसहभागिता योजना में हुआ था। सरकार ने भी योजना में अपनी हिस्सेदारी दी तो चिकित्सालय का निर्माण हुआ। चिकित्सालय निर्माण के समय में जो नक्शा बनाया गया था, उसमें प्रथम चरण का कार्य पूरा हुआ है। ऊपरी सतह पर भवन का निर्माण होना शेष है। साढ़े आठ साल की लंबी अवधि बीत गई इस अवधि में चिकित्सालय में मरीजों के आउटडोर की संख्या में बढ़ोतरी हो गई, लेकिन सरकार चाहे जिस दल की बनी किसी ने भी चिकित्सालय भवन के विस्तारीकरण में फूटी कौड़ी आवंटित नहीं की।
सुव्यवस्थित ऑपरेशन थियेटर नहीं : चिकित्सालय में सर्जन का पद है। सर्जन लंबे समय से यहां नहीं लगे। प्रथम तल में निर्मित होने वाले भवन में जब ऑपरेशन थियेटर का अभाव खलने लगा तो आनन फानन में एक कक्ष को यहां आपरेशन थियेटर का रूप दिया गया। शल्य चिकित्सा इकाई की ओर से आयोजित होने वाले शिविर में इसी थियेटर के अंदर ऑपरेशन किए, लेकिन सुव्यवस्थित तरीके के ऑपरेशन थियेटर का अभाव यहां बड़ी समस्या है। अस्थि रोग विशेषज्ञ चिकित्सालय में लगे है जो ऑपरेशन करने में सक्षम है, लेकिन उनके अनुरुप चिकित्सालय में संसाधनों का अभाव बना हुआ है।
जगह की तंगी से बेड़ नहीं लगे : चिकित्सालय को राज्य सरकार ने 75 बेड का चिकित्सालय स्वीकृत किया हुआ है, लेकिन वर्तमान में कॉटेज वार्ड सहित जनरल वार्ड के बेड को जोड़ दिया जाए तो उनकी संख्या 50 भी नहीं पहुंचती। 75 बेड के चिकित्सालय में 75 बेड नहीं होने की बात सामने आने पर चिकित्सा विभाग के अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ लेते है कि भवन में जगह का अभाव है, बेड कहां लगाए। मौसमी बीमारियों के समय में भवन में बेड़ की कमी से मरीजों को जगह नहीं मिलने पर एक बेड पर दो मरीजों को बोतले चढ़ानी पड़ती हैं।
लेबोरेट्री में जगह की दिक्कत : चिकित्सालय में आने वाले रोगियों में करीब 75 से 80 प्रतिशत रोगियों की जांच होती है, लेकिन लेबोरेट्री कक्ष भी यहां जगह की कमी के कारण तंगहाल में संचालित हो रहा है। चिकित्सालय में कक्षों की कमी का मामला तत्कालीन उप जिला कलक्टर राजेश डागा की नजर में आने पर उन्होंने जगह का चिन्हिकरण भी कक्ष निर्माण के लिए किया। युवा दल ने एक कक्ष का निर्माण में सहयोग करने का भरोसा भी दिलाया। युवा दल की तरफ से इस मामले में स्वीकृति भी चाही गई, लेकिन चिकित्सा विभाग की तरफ से स्वीकृति नहीं मिलने से यह कार्य हो नहीं पाया।
Published on:
11 May 2022 04:08 pm
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