
Health Department sent fake reports of dying of dengue
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आंकड़ों की बाजीगरी कर कोटा में डेंगू की भयावहता छुपा रहे हैं। कोटा शहर व आस-पास कहर बरपा रहा डेंगू जानलेवा हो चुका है। रोजाना एक-दो परिवारों की खुशियों को छीन रहा है। इसके बाद भी चिकित्सा विभाग के अधिकारी डेंगू से निपटने के लिए कारगर कदम नहीं उठा रहे। अभी भी कागजों और बैठकों में ही डेंगू से लड़ा जा रहा है, हकीकत ज्यादा डरावनी है।
सेंट्रल लैब नहीं भेज रही पूरे आंकड़े
एमबीएस अस्पताल स्थित सेन्ट्रल लैब से सीएमएचओ ऑफिस भेजे जा रहे डेंगू पीडि़तों के आंकड़े हकीकत से बहुत कम हैं। डेंगू की भयावहता शहर के निजी व सरकारी अस्पतालों में साफ दिखाई पड़ रही है। अस्पतालों में डेंगू पीडि़तों की ज्यादा संख्या के कारण पलंग तक उपलब्ध नहीं हैं। इसके विपरीत सेन्ट्रल लैब और सीएमएचओ ऑफिस में डेंगू पॉजीटिव मरीजों की रिपोर्ट में बड़ा खेल चल रहा है। सरकार को गलत आंकड़े भेजे जा रहे हैं।
ये कैसा फार्मूला?
सेन्ट्रल लैब से डेंगू मरीजों की रोजाना की रिपोर्ट सीएमएचओ ऑफिस भेजी जाती है। लैब स्टाफ द्वारा जिन मरीजों के पते-ठिकाने, मोबाइल नम्बर किसी कारण से दर्ज नहीं हो पाते, उन्हें पॉजीटिव ही नहीं माना जा रहा, जबकि जांच वह पॉजीटिव आ रहे हैं। ऐसा यहां पिछले कई दिनों से चल रहा है।
मरीज 74, बताया एक
लैब से मिली जानकारी के मुताबिक 18 से 23 अक्टूबर तक छह दिनों में 1128 मरीजों ने डेंगू एलाइजा टेस्ट कराया। इसमें 327 मरीज डेंगू पॉजीटिव निकले, जबकि सीएमएचओ ऑफिस की ओर से जारी आंकड़ों में इन 6 दिनों में 114 डेंगू पॉजीटिव बताए गए हैं। अराजकता का आलम यह है कि सेन्ट्रल लैब ने 22 अक्टूबर की रिपोर्ट में 74 डेंगू पॉजीटिव बताए, जबकि सीएमएचओ ऑफिस से केवल 1 मरीज के डेंगू पॉजीटिव बताया गया।
कर्मचारियों के सिर फोड़ा ठीकरा
सेन्ट्रल लैब प्रभारी डॉ. नवीन सक्सेना ने बताया कि वह लैब में आने वाले सभी मरीजों की रिपोर्ट सीएमएचओ ऑफिस भेजते हैं, लेकिन जिस मरीज का एड्रेस व मोबाइल नम्बर नहीं होता, उसे पॉजीटिव नहीं मान रहे। कर्मचारियों का अभाव है। एक ही कर्मचारी होने के कारण रिपोर्ट मेंटेन करना मुश्किल हो रहा है। अब सीएमएचओ आफिस से कर्मचारी लगाए हैं।
दो कर्मचारी लगाए
सीएमएचओ डॉ. आर.के. लवानिया ने बताया कि सेन्ट्रल लैब से जिन डेंगू पॉजीटिव मरीजों की रिपोर्ट आ रही है। उसमें कई मरीजों के नाम व पते नहीं हैं। पूरी लिस्ट नहीं आने से एक्टीविटी कराने में दिक्कत आती है। लैब में दो कर्मचारी लगाए हैं, जो सही रिपोर्ट भेजेंगे।
Updated on:
27 Oct 2017 09:58 am
Published on:
27 Oct 2017 08:23 am
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