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इस 12 वीं तक के स्कूल में बरसात आते ही होती छुट्टी

शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चला रखी हैं। लेकिन, छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए स्कूलों में पर्याप्त कक्ष हैं या नहीं है इस तरफ ध्यान नहीं है।

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राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय तम्बोलिया में पेड़ के नीचे पढ़ते बच्चे।

कोटा.

रमसा, सर्व शिक्षा अभियान, प्रवेशात्सव और न जाने कितने अभियान सरकारी स्कूलों के सुदृढ़ीकरण के लिए चलाए जा रहे। इन पर बेशुमार धन भी खर्च हो रहा। छात्र-छात्राओं का शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए भी राज्य सरकार ने कई योजनाएं चला रखी हैं। लेकिन, इस सबके बीच छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए स्कूलों में पर्याप्त कक्ष हैं या नहीं है इस तरफ न तो राज्य सरकार ध्यान दे रही है। न ही शिक्षा विभाग को परवाह है। हालत यह है कि कक्षा-कक्षों की कमी के कारण ग्राम पंचायत मुख्यालय तम्बोलिया के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय की कई कक्षाएं पेड़ के नीचे लगती हैं। यदि विद्यालय समय के दौरान बारिश आ जाती है तो मजबूरी में छात्र-छात्राओं की छुट्टी करनी पड़ती है।
स्कूल प्रशाासन का कहना है कि विद्यालय कक्षा 12वीं तक संचालित है लेकिन बच्चों के बैठने के लिए मात्र चार कमरे है । एक ऑफिस बना हुआ है। एक कक्षा-कक्ष में दो से ज्यादा कक्षाओं को एक साथ बैठाकर पढ़ाया जाता है। कक्ष छोटा होने के कारण छात्र-छात्राएं सही तरह से बैठ तक नहीं पाते हैं। तीन से चार कक्षाओं को बाहर पेड़ की छांव में बैठाकर पढ़ाया जाता है। वहीं तीन कक्षाएं बरामदे में लगती हैं।

कई बार भेजा प्रस्ताव

प्रधानाचार्य रूपसिंह ने बताया कि स्कूल में 12 कक्षाओं में 237 बच्चों का नामांकन है। एक ऑफिस व चार कक्षा कक्ष हैं। 13 अध्यापकों का स्टाफ है। कक्षा कक्षों की कमी के कारण छात्र-छात्राओं को पेड़ की छांव में बैठाकर पढ़ाया जाता है। समग्र शिक्षा अभियान में कमरों का निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा है लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं आई है।
छत टपकती है
अध्यापक भैरूलाल व नाथूलाल ने बताया कि बरसात में कमरों से पानी टपकने लगता है। बच्चों की छुट्टी करनी पड़ती है। एक कमरे की दीवारों में दरारें पडऩे लग गई है।
पानी की भी समस्या
स्कूली छात्र-छात्राओं ने बताया कि पीने के पानी समस्या है। परिसर में एक हैंडपम्प लगा हुआ है जो खराब है। राजीव सेवा केन्द्र से पानी का कनेक्शन कर रखा है। इससे पानी की टंकी को भरा जाता है लेकिन बिजली बंद होने की स्थिति में पानी की समस्या हो जाती है।