कोटा . फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक के समय को होलाष्टक माना जाता है इस बार 14 से 21 मार्च तक है । इन आठ दिनों में मांगलिक कार्य नहीं किये जा सकते है । ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि 14 मार्च के बाद एक महीने के लिए मांगलिक और वैवाहिक कार्यों पर रोक लग जाएगी। 14 मार्च से होलाष्टक लगेंगे जबकि 15 मार्च से मीन मलमास लगेगा। हाेलाष्टक 21 मार्च को समाप्त हो जाएंगे लेकिन मीन मलमास के कारण मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे।
14 अप्रैल को मीन मलमास समाप्त होगा। देव गुरु बृहस्पति की राशि मीन में सुर्य प्रवेश करेंगे। यह एक माह के लिए भ्रमण करेंगे। इसके बाद वह अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश कर जाएंगे। सूर्य का मीन राशि में जाने को मलमास या खरमास कहा जाता है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं।
होलाष्टक को क्यों माना जाता है अशुभ
होलाष्टक के इन 8 दिनों में ग्रह अपने स्थान में बदलाव करते हैं. माना जाता है कि होलाष्टक में ग्रहों का स्वभाव उग्र हो जाता है। सभी नौ ग्रह अष्टमी से पूर्णिमा तक उग्र रहते हैं। इसी वजह से ग्रहों के चलते होलाष्टक समय में किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र में माना गया है कि इस दौरान शुभ कार्य करने से व्यक्ति के जीवन में कष्ट, पीड़ा का प्रवेश होता है।
इस बार होलिका दहन 20 मार्च बुधवार को चतुर्दशी युक्त पूर्णिमा में मनाया जाएगा। 21 मार्च गुरुवार को धुलंडी मनाई जाएगी। 20 मार्च को रात 9 बजे तक भद्रा रहेगी। इससे होलिका दहन भद्रा के बाद 9:15 बजे करना श्रेष्ठ रहेगा। बुधवार के दिन होलिका दहन करना सभी लोगों के लिए श्रेष्ठ फलदायी रहेगा।