
गुरुद्वारा दु:ख निवारण साहिब
कोटा . यहां गुरुद्वारा दु:ख निवारण साहिब की ओर से तीन दिवसीय गुरमत कीर्तन समागम का आयोजन किया गया। रविवार को हुए समापन कार्यक्रम में बाहर से आए संतों ने कहा कि सास-बहू का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि दोनों एक-दूसरे की बुराईयां करना छोड़ दें तो घर स्वर्ग बन जाएगा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बाहर से पहुंचे संत और रागी जत्थों ने उपस्थित लोगों को शबद कीर्तन सुनाकर निहाल किया। इस दौरान सिंधी कॉलोनी स्थित सिंधी स्कूल परिसर में खुले पांडाल में दीवान सजाया गया। समापन पर लोगों ने गुरुग्रन्थ साहिब के सम्मुख मत्था टेका। हजूरी रागी जत्थों ने कीर्तन कर संगत को निहाल किया। हरङ्क्षदर साहिब अमृतसर के हजूरी रागी सुरिंदर सिंह, गुरुद्वारा दु:ख निवारण साहिब कोटा के मंजीत सिंह, लुधियाना के गुरुशरण सिंह व अन्य रागी जत्थों ने कीर्तन किया। जत्थों ने कीर्तन कर साथ में शबदों का भावार्थ भी बताया। कीर्तनी जत्थों ने ‘दद्दा दोष न देऊ, करते दोष कर्म है आपणे...,जो मैं किया सौ मैं पाईआ ..., सब कुछ बसगति साहिबे आए करण करेई... ’ सरीखे कई शबद सुनाकर श्रद्धालुओं को निहाल किया। शाम को भी दीवान सजाया।
जैसा बीज वैसा फल
रागी जत्थों ने शबदों के माध्यम से लोगों को समझाया कि व्यक्ति के कर्म उसके साथ चलते हैं। जैसे कर्म करता है उसे फल भी वैसा ही मिलता है। आज लोग हर मामले में दूसरों को दोषी ठहराते हैं। इस आदत को बदले। गुरुशरण सिंह ने सास व बहू का उदाहरण देते हुए कहा कि दोनों एक-दूसरे की बुराईयां करना छोड़ दे तो घर स्वर्ग बन जाता है। हम जैसे बीज बोहते हैं, फल भी वैसा ही होता है। चंडीगढ़ से आए ज्ञानी अमरिक सिंह ने कथा कही। कार्यक्रम में गुरुद्वारा प्रधान लघा सिंह, सचिव हरविंदर सिंह समेत अन्य पदाधिकारी मौके रहे। इस मौके पर गुरु का अटूट लंगर भी बरताया गया।
Published on:
03 Dec 2017 07:05 pm
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