
अगर इन तंग गलियों में आग लग जाए तो....फायर ब्रिगेड तो दूर बाइक निकलना भी दूभर
कोटा. शहर की तंग गलियों में बाजार चल रहे हैं। ऐसे हालात हैं कि आग लगने पर दमकलें पहुंचना तो दूर की बात है, मोटरसाइकिल से पहुंचने में भी पसीने छूट जाते हैं। ऐसी ही तंग गलियों में चल रहे बाजारों में धड़ल्ले से गैस सिलेण्डरों का उपयोग हो रहा है। विद्युत तारों का जाल बिछा है, इससे शॉर्ट सर्किट की आशंका हमेशा बनी रहती है। दिल्ली अग्निकाण्ड के बाद पत्रिका टीम ने सोमवार को शहर का दौरा किया। पुराने शहर में तंग गलियों में सर्राफा बाजार व ठठेरा बाजार चल रहा है। यहां एलपीजी सिलेण्डरों का धड़ल्ले से उपयोग किया जा रहा है। कुछ दुकानों पर भी गैस के लिए छत पर पाइपलाइन भी निकाल रखी है। ठठेरों की कुछ दुकानों पर तो एक ही जगह आधा दर्जन से भी अधिक गैस सिलेण्डर रखे थे। ठठेरा बाजार की तंग गली में तो मोटर साइकिल भी बमुश्किल निकल पाती है। यदि यहां अग्निहादसा हो जाए तो काबू पाना अत्यंत मुश्किल है। निगम की दमकलों का यहां पहुंच पाना मुमकिन नहीं है। गलियों की स्थिति तो यह है कि नीचे लगी है और ऊपर छज्जों के कारण छतें मिला दी गई है। विद्युत तारों से दीवार अटी पड़ी है। शास्त्री मार्केट, बजाजखाना, साड़ी मार्केट, नई धानमंडी आदि क्षेत्रों में कमोबेश यही हालात हैं।
सघन बाजार, वेल्डिंग के कारखाने
शहर के अतिव्यस्ततम बाजारों के बीच भी वेल्डिंग के कारखाने चल रहे हैं। इससे भी आग लगने की हमेशा आशंका रहती है। इसके अलावा कई जगहों पर एलपीजी सिलेण्डरों की अवैध रीफिलिंग का काम भी चल रहा है। पिछले दिनों लाडपुरा में एक मकान में लगी आग के दौरान गैस सिलेण्डरों में अवैध रीफिलिंग की बात सामने आई थी।
बाजारों व तंग गलियों में आग बुझाने के लिए एक नगर निगम के पास अभी एक कार दमकल है। इसके अलावा छोटी दमकलें खरीदने के प्रस्ताव भेज रखे हैं।
देवेन्द्र गौतम, सहायक अग्निशमन अधिकारी
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में अग्निशमन उपकरणों के लिए 10 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत किया गया है। इसमें शहर के विस्तार के हिसाब से नए फायर स्टेशन खोले जाएंगे और उपकरण खरीद जाएंगे।
वासुदेव मालावत, प्राधिकारी नगर निगम कोटा दक्षिण व कोटा उत्तर
Published on:
10 Dec 2019 06:32 pm
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