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Video: ये लोग जिंदा रख रहें हैं भारतीय संस्कृति को वरना आज के बच्चे तो चार पीढिय़ों के नाम भी नहीं बता सकते

आधुनिकता की दौड़ में भारतीय संस्कृति की धरोहर वंशावली, बिरदावली परम्परा को खोते जा रहे। हमारे बच्चे चार पीढिय़ों के नाम भी नहीं बता पाते।

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कोटा

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abhishek jain

Oct 25, 2017

Introduction to Genealogy and Indian Traditional Study Program in Kota

कोटा . कठपुतली का खेल दिखाने वालों ने जागा, चारण, भाटों की पोथियों का अध्ययन कर पृथ्वीराज चौहान, अमर ङ्क्षसह राठौड़, महाराणा प्रताप के बलिदान, शौर्य गाथाओं को आज भी जिंदा रखा है, लेकिन हम आधुनिकता की दौड़ में भारतीय संस्कृति की धरोहर वंशावली, बिरदावली परम्परा को खोते जा रहे। हमारे बच्चे चार पीढिय़ों के नाम भी नहीं बता पाते। युवा पीढ़ी को वंश परम्परा, अपने पुरखों, जाति-गोत्र आदि की जानकारी देने के लिए वंशावली लेखन को समृद्ध बनाने की आवश्यकता है।

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यह बात बुधवार को कोटा विवि के सरस्वती भवन सभागार में राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण जयपुर के अध्यक्ष औंकार सिंह लखावत ने कही। वे कोटा विवि में वंशावली लेखन व भारतीय परम्परा, अध्ययन शोधपीठ के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। अध्यक्षता विवि के कुलपति प्रो. पीके दशोरा ने की। विवि के स्कूल ऑफ हैरिटेज, टूरिज्म, म्यूजियोलॉजी एवं आर्कियोलॉजी के समन्वयक डॉ. मोहनलाल साहू ने अतिथियों का परिचय दिया। संचालन वंशावली लेखन एवं भारतीय परम्परा अध्ययन शोधपीठ के समन्वयक केआर चौधरी ने किया। अंत में कुलसचिव डॉ. संदीप सिंह चौहान ने आभार व्यक्त किया।

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वंशावली लेखन में सम्पूर्ण जानकारी

मुख्य वक्ता रहे वंशावली संरक्षण एवं संवद्र्धन संस्थान के संरक्षक रामप्रसाद ने कहा कि आजादी के बाद भी वंशावली परम्परा हमारी जीवन शैली का अंग नहीं बन सका। वंशानुरूप व्यवस्था के बारे में लोगों को जानकारी होना चाहिए। यह इतिहास को जोडऩे का काम करती है। इसमें पुरखों के नाम ही नहीं रहते, बल्कि उस जमाने के आर्थिक, सामाजिक, ऐतिहासिक, धार्मिक जीवन की भी जानकारी समाहित रहती है।

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तथ्यात्मक दस्तावेज है वंशावली
विशिष्ट अतिथि रहे मोहनलाल सुखाडिय़ा विवि के कुलपति प्रो. जेपी शर्मा ने कहा कि आदिकाल से भारत में सूर्य व चंद्र वंश परम्परा चली आ रही है। वंशावली लेखन तथ्यात्मक, शाश्वत इतिहास है। जिस जमाने में जो लिख दिया व बिल्कुल सत्य है। कहीं करेक्शन की गुंजाइश नहीं। यह ऐतिहासिक तथ्यात्मक दस्तावेज है।