
जयपुर . कोटा . कोटा के पूर्व राजपरिवार की एक हजार से अधिक बीघा की 20 सम्पत्तियां सरकारी हैं या नहीं, इस पर हाईकोर्ट फैसला करेगा। कोर्ट ने फिलहाल इन सम्पत्तियों पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए कहा, याचिका पर निर्णय होने तक संपत्तियों के राजस्व रिकॉर्ड में कोई बदलाव या किसी के पक्ष में करने पर रोक रहेगी।
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न्यायाधीश मनीष भंडारी ने राज्य सरकार याचिका पर कि ओर से दायर याचिका पर यह आदेश दिया है। मामले में राजस्व मंडल सहित एक दर्जन से अधिक पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है। याचिका में अवाप्ति से जुडे मुद्दों पर राजस्व मंडल के आदेश को चुनौती दी गई है। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एन एम लोढा ने कोर्ट को बताया कि पूर्व राजपरिवार स्वयं भूमि को कृषि मानता है और लगान भी देता है। ऐसे में कृषि भूमि होने के कारण 1963 के कानून के तहत इस भूमि को अवाप्त किया जाना सही है, क्योंकि 1963 के कानून के तहत आवास के अतिरिक्त सम्पत्ति अवाप्ति योग्य है।
यह था मामला
तथ्यों के अनुसार कोटा के पूर्व राजपरिवार की 1 हजार बीघा से अधिक भूमि से सम्बन्धित 20 संपंत्तियों की 1963 के भूमि अवाप्त कानून के तहत अवाप्ति की कार्यवाही की गई। बाद में राजस्व मंडल ने मात्र 2 बिन्दुओं को छोड़कर मामला नीचे वापस भेज दिया। सरकार का कहना है कि अवाप्ति के मामले में राजस्व मंडल व सम्पदा अधिकारी का आदेश गलत है।
गौरतलब है कि पूर्व राजपरिवार की 20 संपत्तियों को 1963 के भूमि अवाप्त कानून के तहत अवाप्त करने की कार्यवाही की गई थी। बाद में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू ने 2 को छोड़कर अन्य संपत्तियों को अवाप्त करने से इंकार कर दिया था। सरकार ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अवाप्ति का निर्णय तक होने तक यथास्थिति बनाए रखने की गुहार लगाई थी। मामले में बोर्ड ऑफ रेवेन्यू अजमेर के साथ ही एक दर्जन से अधिक पार्टियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
Published on:
10 Jan 2018 09:40 am
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