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सनातन संस्कृति में जनेऊ जरूरी

locationकोटाPublished: Apr 08, 2019 01:17:23 am

Submitted by:

Anil Sharma

झूलेलाल मंदिर में हुआ यज्ञोपवित संस्कार। 41 बटुकों ने धारण की जनेऊ। कोटा, बूंदी, बिजोलिया सहित भोपाल के बच्चे भी शामिल।

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यज्ञोपवित कार्यक्रम में जनेऊ धारण करते बटुक।

कोटा. झूलेलाल जयंती महोत्सव के तहत रविवार को शहर में दो अलग-अलग स्थानों पर जनेऊ संसकार हुए। इनमें कोटा व अन्य जगहों के 85 बटुकों ने यज्ञोपवित धारण की।
झूलेलाल सेवा समिति के तत्वावधान में रामतलाई स्थित झूलेलाल मंदिर में मनाए जा रहे चेटीचण्ड महोत्सव में रविवार को यज्ञोपवित संस्कार हुआ। इसमें 41 बटुकों ने यज्ञोपवित धारण की। इनमें कोटा, बूंदी, बिजोलिया व कोटा में रहकर कोचिंग कर रहे भोपाल के दो बच्चों की भी जनेऊ हुई। समाज के जयदेव शर्मा के आचार्यत्व में बटुकों ने जनेऊ धारण की। यज्ञोपवित के लिए चार कुंड बनाए गए। बटुकों को गुरु ने सीख दी और जनेऊ धारण करने के नियम बताए। गुरुमंत्र लेकर बटुकों ने जनेऊ धारण की। विधि विधान से यज्ञोपवित धारण करवाने के बाद बटुकों ने अपना धर्म निभाते हुए अपने गुरु के लिए दक्षिणा के लिए भीक्षा मांगी। इस दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए। जगत माता मंदिर पार्टी के गायकों ने लाडा गाया। उन्होंने लाडो घोडिय़ा ते चढ़ी वटण लाडी आलंदो…दीहं सदोरा, रात सदोरी..सरीखे अन्य गीत गाए। अध्यक्ष गोपलानी ने बताया कि बटुकों को समिति की ओर से वस्त्र, चांदी की अंगुठी व अन्य आवश्यक वस्तुंए भेंट की। झूलेलाल सेवा समिति के अध्यक्ष सतीश गोपलानी, महामंत्री हरिप्रकाश पंजवानी, संरक्षक मुरलीधर अलरेजा, उपाध्यक्ष हरीश दयानी, लालचंद अछड़ा, तोलाराम बनानी, शंकर चंचलानी, रमेश राजानी, धनराज अडवानी, जय संचलानी व अन्य लोग मौजूद रहे। इस मौके पर भंडारे का आयोजन भी किया गया।
जय शिव शंकर पूज्य सिंधी पंचायत समिति व सिंधु एकता मंडल के संयुक्त तत्वावधान में महावीर नगर विस्तार योजना स्थित झूलेलाल मंदिरर में यज्ञोपवित संस्कार हुआ। यहां 44 बटुकों ने जनेऊ धारण की। कार्यक्रम अध्यक्ष मुकेश पुरुसवानी, शमशेर परमानी, समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। महामंत्री परमानी ने बताया कि संस्कार नि:शुल्क करवाया गया। हवन सामग्री, वस्त्र, अंगूठी व बर्तन समिति की ओर से दिए गए। समिति के अध्यक्ष राजकुमार सिंधी ने कहा कि सनातन संस्कृति में जनेऊ का धारण करना जरूरी है। विवाह संस्कार भी यज्ञोपवित के बाद ही होता है। यह षोडश संस्कारों में से एक है। कार्यक्रम में समाज की विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारी प्रमोद पुरुसवानी, सनील अरोड़ा, घनश्याम बनवारी, सेवक भोजवानी, महेश चावला, पुरुषोत्तम रोहिड़ा मौजूद रहे।
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